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सेना के लिए विकसित एमआरएसएएम ने हवाई लक्ष्यों को रोक​कर सीधे हिट किया

एमआरएसएएम के चार सफल उड़ान परीक्षण किए​ गए

– ​चारों परीक्षणों से दो रेजिमेंटों में हथियार प्रणालियों के संचालन का मार्ग प्रशस्त हुआ

नई दिल्ली, 04 अप्रैल (Udaipur Kiran) ।​ ओडिशा के तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से ​सेना के लिए मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) के चार सफल उड़ान परीक्षण किए​ गए हैं।​ रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 03 और 04 अप्रैल को ​चारों परीक्षण उच्च गति वाले हवाई लक्ष्यों के विरुद्ध किए। मिसाइलों ने हवाई लक्ष्यों को रोक​कर उन्हें सीधे हिट करते हुए नष्ट कर दिया।

डीआरडीओ​ के मुताबिक भारतीय सेना ​के पूर्वी और दक्षिणी कमांड से​ लंबी दूरी, छोटी दूरी और उच्च एवं निम्न ऊंचाई पर चार लक्ष्यों को रोकने के लिए चार परीक्षण किए गए, जिससे परिचालन क्षमता साबित हुई। इन परीक्षणों ने दोनों सेना कमांड की परिचालन क्षमता को साबित ​करके दो रेजिमेंटों में हथियार प्रणालियों के संचालन का मार्ग प्रशस्त किया है।​ एमआरएसएएम सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है​, जिसे डीआरडीओ और इजरा​इल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई)​ ने भारतीय सेना​ के लिए विकसित किया​ है।​ इस हथियार प्रणाली में मल्टी-फंक्शन रडार, कमांड पोस्ट, मोबाइल लॉन्चर सिस्टम और अन्य वाहन शामिल हैं।

डीआरडीओ और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में किए गए​ परीक्षण के दौरान हथियार प्रणाली के प्रदर्शन की पुष्टि ​के लिए आईटीआर, चांदीपुर ​में राडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम​ तैनात किये गए थे, जिनसे उड़ान डेटा कैप्चर ​किया गया। सेना ने अपनी वायु रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए पूर्वी थिएटर में अपनी पहली मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) रेजिमेंट की स्थापना की है। यह रेजिमेंट लड़ाकू जेट, यूएवी, सब सोनिक और सुपरसोनिक मिसाइल आदि जैसे दुश्मन के हवाई खतरों से भारत की रक्षा करेगी।​ इस रेजिमेंट को डीआरडीओ ने स्वदेशी रूप से विकसित मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली हथियार प्रणाली से लैस किया है।———————————————

(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम

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