Madhya Pradesh

मप्रः नियुक्ति के 12 साल बाद 45 परिवहन आरक्षकों की सेवाएं समाप्त

व्यापमं (फाइल फोटो)

भोपाल, 25 सितंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के माध्यम से वर्ष 2012 में हुई परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के चलते अब 45 परिवहन आरक्षकों की सेवा समाप्त कर दी गई है। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर राज्य के परिवहन सचिव सीबी चक्रवर्ती ने गत 19 सितंबर को इस संबंध में आदेश जारी किया, जो बुधवार को सार्वजनिक किया गया।

गौरतलब है कि व्यापमं ने वर्ष 2012 में परिवहन आरक्षक के 332 पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की थी। परीक्षा के बाद विभाग ने महिलाओं के लिए आरक्षित पदों पर व्यापमं से चयनित पुरुषों को नियुक्ति दे दी थी। इस पर महिला आवेदकों ने प्रश्न उठाए थे। इसके बाद परिवहन विभाग ने स्पष्टीकरण दिया था कि भर्ती में 109 पद महिलाओं के लिए आरक्षित रखे थे, लेकिन भर्ती में मात्र 53 महिलाएं ही पात्र मिली थीं। इस कारण 56 पदों पर पुरुषों को नियुक्त कर दिया गया था।

इस मामले को लेकर साल 2013 में एक महिला आवेदक हिमाद्री राजे ने सरकार के इस निर्णय के विरुद्ध मप्र उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। शासन का पक्ष सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने वर्ष 2015 में महिलाओं के पदों पर पुरुषों की नियुक्तियों को रद्द करने के लिए कहा था। उच्च न्यायालय के इस निर्णय के विरुद्ध राज्य शासन ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी। इस पर उच्चतम न्यायालय ने इसी वर्ष अप्रैल के माह में मप्र उच्च न्यायालय के निर्णय को यथावत रखते हुए महिलाओं की जगह पुरुषों की नियुक्ति निरस्‍त करने के लिए कहा था। इसी क्रम में परिवहन सचिव सिबि चक्रवर्ती ने परिवहन आयुक्त को पत्र लिखकर नियुक्तियां निरस्‍त करने के लिए कहा था। अतिरिक्त परिवहन आयुक्त उमेश जोगा ने जानकारी देते हुए बताया कि नियुक्तियां रद्द कर दी गई हैं।

इधर, महिलाओं के पद पर नियुक्त तीन आरक्षकों ने उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका लगाकर बर्खास्तगी पर रोक की मांग की है। उनका कहना है कि 10 साल से वह सेवा में लगे हैं, इसलिए उनका भी पक्ष सुना जाना चाहिए।

मामले में कांग्रेस ने सवाल उठाए है। कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने बुधवार को वीडियो जारी कर कहा कि व्यापमं के अलग-अलग मामलों में करीब 48 एफआईआर दर्ज हुई थीं। इनमें आखिरी एफआईआर हमारे दबाव में 39 उम्मीदवारों पर दर्ज की गई थी। आरक्षण नियमों का पालन न करते हुए तत्कालीन परिवहन मंत्रालय ने बकायदा चयनित परिवहन आरक्षकों को उनके फिजिकल टेस्ट नहीं कराए जाने का पत्र भी जारी किया था। मिश्रा ने बताया कि 24 मई 2012 को 198 परिवहन आरक्षकों की भर्ती के लिए अखबारों में विज्ञापन निकाला गया था और 12 अगस्त 2012 को परीक्षा हुई थी। इसमें एक लाख 47 हजार परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया था। इसमें बिना सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति 332 आरक्षकों का चयन कर लिया गया। गलत तरीके से चयनित अभ्यर्थियों को 2013 में तत्कालीन परिवहन आयुक्त संजय चौधरी के आदेश से नियुक्तियां दी गईं। कांग्रेस के दबाव के बाद भोपाल के एसटीएफ थाने में 39 आरोपियों के खिलाफ 14 अक्टूबर 2014 को एफआईआर दर्ज की गई। जांच में कई खुलासे हुए। कई अभ्यर्थियों के अस्थाई पते तक गलत पाए गए। मामला खुलने के डर से 17 अभ्यर्थियों ने नियुक्ति आदेश मिलने के बावजूद जॉइनिंग नहीं दी। पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव और तत्कालीन मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने जांच एजेंसियों- एसटीएफ, एसआईटी और सीबीआई को आरोपों से संबंधित दस्तावेज भी सौंपे थे।

(Udaipur Kiran) तोमर

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