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– मध्य प्रदेश सरकार को बनाया पक्षकार
ग्वालियर, 17 फरवरी (Udaipur Kiran) । सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर रील्स और शॉर्ट्स में अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट परोसे जाने के खिलाफ सेंसरशिप पर सवाल खड़े करते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने गंभीर चिंता जताई है। इसको लेकर दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई में सोमवार को उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को केंद्र सरकार, सूचना प्रसारण मंत्रालय और कई सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के अलावा मध्य प्रदेश शासन को भी पक्षकार बनाने के आदेश दिए।
दरअसल, सोशल मीडिया पर बढ़ती अश्लीलता के खिलाफ देश में पहली बार एक महत्वपूर्ण जनहित याचिका दायर की गई है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में दायर इस याचिका में मुरार निवासी अनिल बनवारिया ने अपने वकील अवधेश सिंह भदौरिया के माध्यम से सोशल मीडिया रील्स पर अंकुश लगाने की मांग की।
याचिका में बताया गया है कि विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर रील्स के माध्यम से अश्लील सामग्री परोसी जा रही है, जो केंद्र सरकार के आईटी एक्ट के तहत दंडनीय अपराध है। इसके बावजूद न तो इस पर रोक लगाई जा रही है और न ही कोई एफआईआर दर्ज की जा रही है। याचिकाकर्ता ने इन रील्स पर सेंसरशिप लागू करने सहित कड़े नियम बनाने की मांग की है।
सोमवार को हुई सुनवाई में उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए याचिकाकर्ता को मध्य प्रदेश सरकार को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया। साथ ही, केंद्र सरकार के वकील को निर्देश दिया गया है कि वे अगली सुनवाई में बताएं कि सोशल मीडिया पर फैली अश्लीलता को रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठा सकती है? क्या नियम लागू किए जा सकते हैं? क्या इस संबंध में पहले से कोई नियम मौजूद हैं?
मामले की अगली सुनवाई 3 मार्च को निर्धारित की गई है। यह याचिका समाज पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
(Udaipur Kiran) तोमर
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