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मूवी रिव्यू : एतिहासिक पृष्ठिभूमि पर बनी फिल्म छावा रचेगी इतिहास

फिल्म छावा का एक दृश्य।

पिछले कई दिनों से जिस फिल्म ‘छावा’ का सभी को बेसब्री से इंतजार था, वह आखिरकार सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। शानदार अभिनय व संवाद के साथ विक्की कौशल का अद्भुत अभिनय और छत्रपति संभाजी महाराज का इतिहास इस फिल्म

में रेखांकित किया गया है।

दमदार एतिहासिक पृष्ठिभूमि की कहानी

फिल्म की शुरुआत छत्रपति शिवाजी महाराज की माैत की खबर से होती है। जिससे औरंगजेब प्रसन्न होता है, लेकिन तभी शिवाजी की छावा आकर उसे चुनौती देती है। फिल्म में संभाजी महाराज के राज्याभिषेक से लेकर औरंगजेब के उनकाे कारावास देने तक की घटनाओं को तेजी से दिखाया गया है। निर्देशक ने इतनी लंबी अवधि और घटनाओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में चुनौती का सामना किया है। फिल्म मध्य तक धीमी गति से आगे बढ़ती है, लेकिन उसके बाद ऐसा लगता है कि फिल्म एक बड़ी छलांग लगा रही है। यह फिल्म आपको संभाजी महाराज के समय में ले जाएगी। फिल्म के संवाद और कुछ दृश्य निश्चित रूप से दिल दहला देने वाले हैं। स्वाभाविक रूप से आपकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। फिल्म का मजबूत पक्ष यह है कि इसमें बहुत कम जगहों पर सिनेमाई स्वतंत्रता ली गई है। फिल्म में किसी भी तरह की अतिशयोक्ति नहीं है।

अभिनय से किरदाराें काे किया जीवंत

इस फिल्म में विक्की कौशल ने संभाजी महाराज के चरित्र को इतनी प्रामाणिकता और गहराई के साथ निभाया है कि उन्होंने सचमुच इस भूमिका में अपना जीवंत बना दिया है। उनकी अदाकारी ने न केवल संभाजी महाराज की वीरता और संवेदनशीलता को जीवंत किया, बल्कि उन्होंने दर्शकों को उस युग में वापस ले जाने में भी सफलता पाई है। यह कहना बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि विक्की कौशल न केवल दर्शकों की उम्मीदों पर खरे उतरे हैं, बल्कि उन्होंने अपने शानदार अभिनय से इस किरदार को अमर कर दिया है। उनके भावनात्मक और शक्तिशाली प्रदर्शन ने फिल्म को और भी यादगार बना दिया है। फिल्म में अक्षय खन्ना ने औरंगजेब की भूमिका को इतनी गहराई और सजीवता से निभाया है कि यह प्रदर्शन दर्शकों के मन में अंकित हो जाने की पूरी संभावना है। उन्होंने औरंगजेब के तीखे व्यक्तित्व, चतुर रणनीतियों, और निर्दयी स्वभाव को इतनी बारीकी से प्रस्तुत किया है कि वह सिर्फ एक खलनायक नहीं, बल्कि एक जटिल और प्रभावशाली चरित्र के रूप में उभरते हैं। येसुबाई की भूमिका निभाने वाली रश्मिका मंदाना ने भी भूमिका के साथ न्याय करने की पूरी कोशिश की है। फिल्म के माध्यम से संभाजी महाराज और येसुबाई के बीच संबंधों का एक अलग पक्ष देखने को मिलता है। इस फिल्म में कई मराठी कलाकार नजर आएंगे। सभी ने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है।

बेतरीन निर्देशन

फिल्म ‘छावा’ को लक्ष्मण उतेकर ने डायरेक्ट किया है, जो पहले हिंदी मीडियम, लुका छिपी, और मिमी जैसी बेहतरीन फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं, लेकिन इस बार उन्होंने इतिहास के एक महान योद्धा पर फिल्म बनाकर अपनी प्रतिभा को एक नए आयाम पर पहुंचाया है।

कर्णप्रिय म्यूजिक

फिल्म ‘छावा’ में एआर रहमान ने संगीत दिया है, जो फिल्म के माहौल और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ सहज रूप से मेल खाता है। उनके म्यूजिक स्कोर में महाकाव्यात्मकता और भावनात्मक गहराई साफ झलकती है, लेकिन यह और भी प्रभावशाली हो सकता था।

फिल्म के नकारात्मक और सकारात्मक पक्ष

चूंकि फिल्म छावा का कथानक लंबा है, इसलिए कुछ घटनाओं का संदर्भ नहीं दिया गया है और फिल्म अंतराल के बाद तेजी से आगे बढ़ जाती है। इस फिल्म का सकारात्मक पक्ष यह है कि यह पहली बार है जब संभाजी महाराज पर इतनी भव्य फिल्म बनाई गई है। इस फिल्म को देखने के बाद आप एक अनोखा अनुभव और भावुकता महसूस करेंगे। फिल्म की कहानी और

कलाकाराें का अभिनय दमदार दिखा।

(Udaipur Kiran) / लोकेश चंद्र दुबे

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