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अस्मिता लीग के जरिए मौसमी ने बनाया अपना रास्ता, औरों को कर रही प्रेरित

नई दिल्ली, 01 जनवरी (Udaipur Kiran) । त्रिपुरा के एक सामान्य परिवार में जन्मी मौसमी ओरांव आज खेल परिदृश्य में चमकदार सितारे के रूप में उभरा नाम है। जिस परिवार में माता और पिता शहर के कई चाय बागानों में दिहाड़ी कर घर चलाने की जद्दोजहद में लगे थे, उन्ही की बेटी मौसमी ने अस्मिता लीग में अपना हुनर दिखाकर फुटबाल के खेल में युवा सनसनी बन गई है।

चार साल पहले मौसमी को एआईएफएफ की आयु-समूह राष्ट्रीय चैंपियनशिप में त्रिपुरा के लिए खेलने के लिए चुना गया था। वहां से रातों-रात वह सनसनी बन गई और इलाके की सैकड़ों लड़कियों ने मौसमी की राह पर चलने का फैसला किया और फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया।

अथक सामाजिक कार्यकर्ता और फुलो झानो एथलेटिक क्लब के प्रमुख जॉयदीप रॉय ने कहा, “पहले हमारे पास केवल मौसमी और शायद कुछ अन्य लड़कियां थीं। आज, हमारे फुलो झानो एथलेटिक क्लब में 150 से अधिक लड़कियां फुटबॉल खेल रही हैं। हमारे पास चार टीमें हैं – खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत अस्मिता लीग में खेलने वाली आयु वर्ग की तीन और त्रिपुरा फुटबॉल एसोसिएशन की आधिकारिक महिला लीग में भाग लेने वाली एक टीम,”

बैकुंठ नाथ मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रणव रॉय ने कहा कि जब से युवा लड़कियों ने फुटबॉल खेलना शुरू किया है, तब से उत्तरी त्रिपुरा के चाय बागानों में एक अविश्वसनीय सामाजिक परिवर्तन आया है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवार अब अपने बच्चों को खेलने के लिए दबाव बनाने लगे हैं। यह सब सिर्फ इसलिए कि मौसमी जैसी लड़कियां तमाम बाधाओं को पार कर फुटबॉल के लिए नया रास्ता बना लिया।

प्रणव रॉय ने कहा कि रोजमर्रा की समस्याओं के आगे बढ़कर बदलाव का वाहक बनीं ये बेटियां आज राज्य की टीमों का प्रतिनिधित्व करने के लिए गंभीर दावेदार हैं। मौसमी ने त्रिपुरा की सीनियर महिला टीम के लिए खेलने के लिए स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। कुंती ओरांव, सबमणि ओरांव और अनीता गौर जैसी खिलाड़ियों ने आयु समूहों में राज्य के रंग पहने हैं।

त्रिपुरा फुटबॉल एसोसिएशन के मानद सचिव अमित चौधरी ने कहा, खेलो इंडिया लीग एक वरदान के रूप में आई है। उन्होंने कहा, फुलो झानो एथलेटिक क्लब की अंडर 13, अंडर 15 और अंडर 17 महिला लीग में तीन टीमें हैं और हमारी सीनियर लीग में भी एक टीम है। वे हमेशा लीग में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।

जॉयदीप मानते हैं, पैसा सबसे बड़ी समस्या है। हालांकि अब हमारे पास अंजन पाल के रूप में एक अच्छा कोच है, जो खुद एक पूर्व फुटबॉलर हैं। हम लड़कियों के कपड़ों, उपकरणों, प्रशिक्षण के समय, जलपान, यात्रा, ठहरने, टूर्नामेंट के दौरान भोजन और बाकी सभी चीजों का ध्यान रखते हैं।

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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय

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