-शिवपुरी जिले की नरवर किले में है मां का ऐतिहासिक मंदिर
– मां भुजंगबलया देवी (पसर देवी) के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग
शिवपुरी, 4 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । शिवपुरी में शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो गई है। भक्ति भाव से देवी मां के भक्तगण मां की आराधना में जुट गए हैं लेकिन इसी बीच शिवपुरी जिले की नरवर तहसील पर नरवर किले के अंदर राजा नल की कुलदेवी पसर देवी का मंदिर स्थित है। यह मंदिर दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। यहां मां लेटी हुई अवस्था में हैं इसलिए इन्हें पसर देवी भी कहा जाता है। नरवर किले के अंदर पसर देवी का मंदिर में भक्तगण नवरात्रि में मां के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं।
लेटी हुई अवस्था माता, इन्हें पसर देवी कहा जाता है-
शिवपुरी जिले की नरवर तहसील मुख्यालय पर नरवर किला स्थित है। राजा नल के इस किले में कटोरा ताल के पास राजा नल की कुलदेवी मां पसर देवी का मंदिर स्थित है। इस कटोरा ताल के जल से ही हमेशा से मां पसर देवी की पूजा-अर्चना होती आई है। लेटी हुई अवस्था मे होने के कारण है इन्हें पसर देवी कहा जाता है। ऐसी विलक्षण प्रतिमाएं भारत में कुछ ही जगह देखने को मिलती है। लेटी हुई देवी प्रतिमाओं को लोग हिंगलाज देवी भी बोलते हैं, क्योंकि पाकिस्तान में स्थित हिंगलाज देवी भी लेटी हुई अवस्था में है।
मां की प्रतिमा पर शेष नाग लपेटे हुए-
पसर देवी मां की प्रतिमा पर शेष नाग लपेटे हुआ है। अत: श्रीमद् देवी भागवत के अनुसार शेषनाग धारण की हुई देवी को भुजंगबलया कहा जाता है। इनके कई सारे उपनाम भी हैं जिनमें प्रमुख रूप से फणीन्द्र भोग शयना ( शेषनाग पर शयन करने वाली), फणिमण्डल मण्डिता (शेषनाग के मंडल से सुशोभित), हंसस्था, गरुडारूढा, नाग्रजिती, वृषभवाहिनी, जय कच्छपी(कच्छप राजवंश की कुलदेवी होने के कारण), नारसिंही(क्योंकि यह नहार के ऊपर सवार है), व्रषारुढा आदि नामों से जानी जाती हैं ऐसा देवी भागवत में उल्लेख है।
कई राज परिवारों की कुलदेवी-
वर्तमान में कभी कभी कच्छप राजवंश के वंशज श्री पाडौन राजा साहब राजपरिवार सहित कुलदेवी के रूप मे पूजने आते रहते हैं। साथ ही अन्य कच्छप राजपूत एवं अन्य समाज के लोग भी कुलदेवी के रूप मे इनका पूजन करने आते हैं। शारदीय नवरात्रों में विशाल जनसमूह देवी जी के दर्शन करने जाते हैं।
(Udaipur Kiran) / रंजीत गुप्ता