धमतरी, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) । वर्षा थमते ही जिले के प्रमुख गंगरेल बांध में पानी की आवक कम हो गई है। इससे बांध के एक रेडियल गेट को छोड़कर सभी गेट बंद कर दिए गए हैं।
बांध क्षेत्रों में स्थिति पूरी तरह से सामान्य हो गई है और गंगरेल समेत जिले के सभी बांध लबालब भरे हुए है। इससे नजारा आकर्षक हो गई है, जिसे देखने अब सैलानियों की भीड़ पहुंच भी रहे हैं। दूसरी ओर रूद्री बांध के सभी गेटों से अभी भी महानदी में पानी छोड़ा जा रहा है, इससे महानदी का नजारा आकर्षक हो गया है। गंगरेल बांध से पानी की आवक कम होने के साथ जल्द ही रूद्री बांध के गेट से भी पानी कम कर दिया जाएगा।
अंचल में पिछले दो दिनों से वर्षा थम गई है। 11 सितंबर की सुबह से शाम तक धूप खिले रहे। मौसम सामान्य होने के बाद गंगरेल समेत सभी बांधों में पानी की आवक पहले की अपेक्षा कम हो गई है। गंगरेल बांध के कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार को शाम छह बजे गंगरेल बांध में कैचमेंट क्षेत्र से 21798 क्यूसेक पानी की आवक हो रही थी। जबकि बांध से कुल 3187 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जिसमें एक रेडियल गेट से 1937 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। वहीं हेड रेगुलेटर से 150 क्यूसेक और पेन स्टाक से 1100 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। गंगरेल बांध में भादो माह में हुई अच्छी बारिश से कुल जलभराव वर्तमान में 31.417 टीएमसी पानी भर गया है।
दुधावा व मुरूमसिल्ली बांध भी लबालब
गंगरेल बांध के अलावा जिले के मुरूमसिल्ली व दुधावा बांध भी लबालब भर चुके हैं। मुरूमसिल्ली बांध में 5.780 टीएमसी जलभराव है, जो अपनी क्षमता के 98 प्रतिशत से अधिक है। जबकि बांध में अभी भी 5745 क्यूसेक पानी की आवक बनी हुई है और बांध से 8037 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है।
इसी तरह दुधावा बांध में भी 9.986 टीएमसी पानी भरा हुआ है, जो अपनी क्षमता के 97 प्रतिशत से अधिक जलभराव है। जबकि बांध में 7995 क्यूसेक पानी की आवक बनी हुई है और बांध से 8990 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। इसी तरह सोंढूर बांध में कुल जलभराव 5.390 टीएमसी भरा हुआ है, जो अपनी क्षमता के 74 प्रतिशत से अधिक है। जबकि बांध में 4761 क्यूसेक पानी की आवक हो रही है और बांध से 4923 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। इस तरह भादो माह में हुई अच्छी वर्षा से जिले के सभी बांधों की सेहत सुधरने के साथ लबालब भरा हुआ है। इससे सभी वर्गाें की चिंता दूर हो गई है।
(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा