
सबलगढ़, 23 अप्रैल (Udaipur Kiran) । गांव व कस्बों की आबादी को शहरी वातावरण प्रदान करने के लिये तात्कालीन ग्रामीण आवास विकास मण्डल द्वारा 4 दशक पूर्व आरंभ की गई योजना आज तक मूर्तरूप नहीं ले पाई है। भूमि को विकसित कर लगभग 250 से अधिक हितग्राहियों को विक्रय करने को अंतिम रूप दिया इसमें एक सैकड़ा हितग्राहियों का पंजीयन तो कर लिया गया, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण न तो भूखण्ड मिले और न ही आवास का निर्माण हो पाया।
आज तक इन हितग्राहियों के पंजीयन की राशि वापस नहीं हुई।
योजना के हाउसिंग बोर्ड को हस्तांतरित होने के बाद भी क्रियान्वयन नहीं हुआ। इसका परिणाम रिक्त पड़ी लगभग 60 करोड़ से अधिक की भूमि पर घुमंतु, लोहपीटा तथा अन्य वर्ग के गरीब लोगों द्वारा धीरे-धीरे अतिक्रमण करना शुरू कर दिया। लगभग दो दशक में आधा सैकड़ा से अधिक लोगों द्वारा इस भूमि पर अतिक्रमण किये जाने में ग्रामीण जन प्रतिनिधियों की भूमिका बताई जा रही है। इससे इस योजना को पलीता लगता दिख रहा है। हालांकि प्रशासन शासकीय भूमि पर से अतिक्रमण हटाये जाने की बात कर रहा है।
जिले के सबलगढ़ तहसील मुख्यालय से मांगरोल मार्ग पर ग्रामीण आवास विकास मण्डल के द्वारा ग्राम पंचायत पूंछरी में 7 हेक्टेयर भूमि पर आवासीय कॉलोनी विकसित करने की योजना बनाई। ग्रामीणों को शहरी वातावरण प्रदान करने के लिये कम लागत मूल्य पर भूखण्ड व आवास देने की इस योजना में भूमि को विकसित किया गया, जिसमें भूखण्ड मान से सडक़, सेप्टिक टैंक, सीवरेज लाइन का निर्माण कर सुचारू विद्युत व्यवस्था के लिये पोल भी स्थापित कर दिये थे। शासन से भूमि अधिग्रहण पश्चात वर्ष 1988 में आरंभ इस योजना में भूमि को विकसित करने के लिये लगभग 10 लाख रूपये व्यय किया गया। शासन की इस योजना में दो वर्ष बाद वर्ष 1990 में ग्रामीण आवास विकास मण्डल का विलय हाउसिंग बोर्ड में हो गया। योजना के तहत ढाई सौ भूखण्ड तथा आवास वितरित किये जाने थे।
विभाग द्वारा समाचार पत्र में विज्ञप्ति के माध्यम से की गई मांग पर एक सैकड़ा से अधिक लोगों ने पंजीयन कराकर 8 से 10 हजार रूपये की राशि जमा कराई। कुछ समय तक हितग्राहियों को भूखण्ड दिये जाने के प्रयास किये जाते रहे, लेकिन हाउसिंग बोर्ड को स्थानांतरित होने के तत्काल बाद ही इस योजना को ग्रहण लग गया और आज तक यह योजना मूर्तरूप नहीं ले पाई है।
कॉलोनी विकास में व्यय की गई राशि भी जमीन पर किये गये अवैध खनन में बर्बाद हो गई। हालात यह है कि भूमि को देखने पर यह सोच पाना बड़ा मुश्किल होगा कि यहां कभी आवास के लिये कोई योजना प्रस्तावित किये जाने का कार्य हुआ होगा। भूमि को विकसित करने के दौरान किये गये निर्माण के अब तो अवशेष भी दिखाई नहीं दे रहे हैं। वहीं पंजीयन कराने वाले हितग्राहियों को पंजीयन की राशि भी वापस नहीं की गई और न ही भूखण्ड व आवास प्रदाय करने का कोई प्रयास किया गया। विभाग द्वारा दबी जुवान से कहा जा रहा है कि न्यायालयीन आवासीय परिसर में उपयोग की गई भूमि के बदले नई भूमि मिलने पर कार्यवाही धीमी गति से आगे बढ़ रही है।
सबलगढ़ से अटार घाट मार्ग पर ग्राम पंचायत पूंछरी क्षेत्रान्तर्गत शासन की 7 हेक्टेयर भूमि पर बीते दो दशकों के दौरान आधा सैकड़ा से अधिक लोगों ने अवैध अतिक्रमण कर लिया है। इस संबंध में जमीन पर रह रहे महिला पुरुष यह अवगत कराते हैं कि ग्रामीण जनप्रतिनिधियों द्वारा उन्हें उस भूमि पर रहने के लिये कहा गया था।
मूलभूत सुविधाओं के तहत पेयजल के लिये हैण्डपंप व बिजली के लिये खम्बे भी लगा दिये गये हैं।
शासन की इस भूमि का मूल्य प्रशासन के अनुसार कुछ करोड़ रूपये हो सकता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में दबी जुवान से लोग इस भूमि की कीमत 60 करोड़ रूपये से अधिक बता रहे हैं। 4 दशक पूर्व इस भूमि का मूल्य बहुत कम था, लेकिन सबलगढ़ तहसील मुख्यालय पर संचालित न्यायालय का आवासीय परिसर वहां स्थापित हो जाने के कारण बाजारू दर काफी तेजी से बढ़ी है। इस भूमि पर अतिक्रमण करने वाले लोग जहां इसे अपनी मान रहे हैं वहीं प्रशासन इस भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने का दावा कर रहा है। बहरहाल देखना यह है कि हाउसिंग बोर्ड की यह भूमि अतिक्रमण की जद से मुक्त हो पायेगी या फिर विभाग को करोड़ों रूपये का नुकसान सहन करना पड़ेगा। यह भविष्य के गर्त में है।
इस संबंध में मुरैना एडीएम सीबी प्रसाद का कहना है कि प्रशासन व पुलिस के माध्यम से कार्यवाही कराकर पूरी जमीन को मुक्त कराया जायेगा। इस जमीन पर प्रस्तावित योजना को पूर्ण करने के लिये संबंधित विभाग को भी निर्देशित किया जायेगा।
हिन्दुस्थान समाचार/उपेंद्र
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(Udaipur Kiran) / राजू विश्वकर्मा
