मुंबई, 26 मार्च (Udaipur Kiran) । महाराष्ट्र विधानमंडल का बजट सत्र बुधवार को संस्थगित हो गया। राज्य विधानमंडल का अगला मानसून सत्र 30 जून 2025 से शुरू होगा।यह घोषणा विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर और विधान परिषद के सभापति राम शिंदे ने की।
महायुति सरकार का पहला बजट सत्र 3 मार्च से शुरू हुआ और पूर्व निर्धारित कामकाज के तहत 26 मार्च को संस्थगित हो गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विश्वास व्यक्त किया कि यह सत्र महाराष्ट्र के विकास को गति प्रदान करेगा। सत्र में 10 मार्च को वर्ष 2025-26 के लिए राज्य का बजट पेश किया गया। यह सत्र कुल 16 दिनों तक चला। रिकार्ड संख्या में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव इस सत्र का मुख्य आकर्षण रहीं। इसी सत्र में एनसीपी (अजीत पवार) के नेता धनंजय मुंडे को अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। वहीं अन्ना बनसोड़े को विधानसभा का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। यह बजट सत्र बिना विपक्ष के नेता के चला। हालांकि इसमें शिवसेना (यूबीटी) के विधायक भास्कर जाधव को विपक्ष का नेता बनाने की मांग मंजूर नहीं होने से विपक्ष में नाराजगी देखने को मिली। भास्कर जाधव ने सत्ता पक्ष पर कामकाज में व्यवधान डालने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सत्र में 9 विधेयक पारित हुए, लेकिन इन विधेयकों पर कितने मिनट चर्चा हुई? सरकार ने अपने चुनावी वादे को पूरा नहीं किया है।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। दोनों सदनों में कुल 12 विधेयक पारित किए गए। माथाड़ी कानून में सकारात्मक सुधार किए गए। निजी सुरक्षा बिल, विनियोग बिल पारित किए गए। वित्त मंत्री अजीत पवार ने पांच सूत्र पर आधारित बजट पेश किया। महिला दिवस के अवसर पर विशेष चर्चा हुई। संविधान दिवस पर चर्चा के अलावा ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से समस्याएं रखी गईं। राज्य के सामने जो समस्याएं हैं, सरकार ने उनका सकारात्मक उत्तर दिया।
विपक्ष के नेता के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष का नेता तय करने का अधिकार हमारा नहीं बल्कि विधानसभा अध्यक्ष का है। इसलिए यह सवाल उन्हीं से पूछा जाना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं. उन पर सरकार का कोई दबाव नहीं है। वह जो फैसला लेंगे हमें मंजूर होगा।
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि हमने काम को वरीयता दी है। विपक्ष सवाल उठा रहा था कि सभी कल्याणकारी योजनाएं बंद हो जाएंगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। राज्य सरकार नो रीजन ऑन द स्पॉट डिसीजन लेकर काम कर रही है। विपक्ष के सदस्यों की संख्या कम है, लेकिन हम उन्हें अंडर एस्टीमेट नहीं कर रहे हैं। विपक्षी दल के सदस्य बाहर संविधान को खतरे में बताते हैं, लेकिन सदन के अंदर उनकी भूमिका अलग होती है।
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(Udaipur Kiran) / वी कुमार
