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हो समाज की भाषा और संस्कृति के संरक्षण के लिए मोदी सरकार संकल्पित : हिमंत बिस्वा सरमा

हिमंत विस्वा सरमा फाइल फाेटाे

-हो भाषा को संविधान की 8 वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए पहल करेगी भारत सरकार

रांची, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । असम के मुख्यमंत्री और झारखंड विधानसभा चुनाव के सह प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा ने दो दिन पहले हो समाज के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। मिलने वालों में आदिवासी हो समाज युवा महासभा के महासचिव गब्बर सिंह हेंब्रम, पूर्व सांसद गीता कोड़ा सहित अन्य शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने एक ज्ञापन भी सौंपा।

बिस्वा सरमा ने बताया कि झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम में रहने वाले आदिवासी हो समाज के परिवारजनों की कई वर्षों से मांग थी कि हो भाषा (वारंग क्षिति लिपि) को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। इस संदर्भ में मैंने आदिवासी हो समाज युवा महासभा और अखिल भारतीय हो भाषा एक्शन कमेटी के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।

उन्हाेंने कहा कि गृह मंत्री ने इस प्रतिनिधिमंडल की बात सुनी और आश्वासन दिया कि भारत सरकार उनकी इस मांग पर विचार करेगी। साथ ही यह भी कहा कि मोदी सरकार देश के हर समाज की संस्कृति को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि झारखंड में 18 लाख, उड़ीसा में 14 लाख, असम में 7 लाख, छत्तीसगढ़ में 50 हजार जबकि अन्य जगहों पर लगभग 1 लाख लोग हो भाषा बोलते हैं।

उन्हाेंने कहा कि हो भाषा कि अपनी वारंग चिति लिपि है, अपना शब्दकोष है। इतिहास, सामाजिक विज्ञान आदि में हो भाषा में शोध प्रकाशित हुए हैं। इनके साहित्य देवनागरी, उड़िया, बंगाली, रोमन लिपि में भी प्रकाशित हुए हैं। झारखंड राज्य में हो भाषा को प्राथमिक से लेकर विश्व विद्यालय तक पढ़ाई जाती है। कोल्हान, रांची, श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में इसकी पढ़ाई होती है।

उन्हाेंने कहा कि इस भाषा का प्रयोग आदिवासी और गैर आदिवासी दोनों समुदाय के लोग करते हैं। झारखंड में हो भाषा को द्वितीय राजभाषा में शामिल किया गया है। इस भाषा के आधार पर नियुक्ति भी हुई है। उन्हाेंने बताया कि हो भाषा के विद्वानों को पद्मश्री सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। भारत सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जनजाति समाज के सर्वांगीण विकास और उनकी संस्कृति की सुरक्षा के लिए संकल्पित है।

उन्हाेंने कहा कि जैसे संथाली और बोडो भाषा को भाजपा सरकार ने 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए संविधान में 102वां संशोधन किया था। उसी तरह सरकार आने वाले दिनों में हो भाषा को भी संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की दिशा में आवश्यक कार्रवाई करेगी।

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(Udaipur Kiran) / शारदा वन्दना

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