नई दिल्ली, 30 जुलाई (Udaipur Kiran) । केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष और तत्कालीन यूपीए सरकार को जमकर घेरा। उन्हाेंने कहा कि माेदी सरकार ने किसानाें काे उपज का सही दाम ताे दिया ही है। इसके साथ मनरेगा मजदूराें काे तीन गुना अधिक काम भी मिला।
कृषि संबंधित प्रश्नों का जवाब देते हुए केन्द्रीय कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने किसान कल्याण, किसानों के विकास के लिए कोई कदम नहीं उठाए। इनकी सरकार में भंडारण के लिए ना तो वेयर हाउस की व्यवस्था थी, ना ही कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था थी, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार का एकमात्र लक्ष्य है कि किसान कैसे सुखी हो, उनकी समस्याओं का समाधान कैसे हो। किसान की सेवा हमारे लिए भगवान की पूजा से बढ़कर है और इसी भाव से अनेक उपाय प्रधानमंत्री माेदी के नेतृत्व में ये सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि किसान अन्नदाता हैं, अन्न के भंडार भरता है और अन्न जीवन देता है ,इसलिए किसान जीवनदाता भी हैं।
केन्द्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि साल 2006 में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट आई थी। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि किसानों की लागत में 50 प्रतिशत लाभ जोड़कर मिनिमम सपोर्ट प्राइज जोड़कर तय किया जाए, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने साफ इनकार कर दिया था। तत्कालीन कृषि मंत्री कांतिलाल भूरिया थे, उन्होंने कहा था 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर नहीं दिया जा सकता।
उन्हाेंने कहा कि शरद पवार कृषि मंत्री थे, उन्होंने ने भी कहा था कि 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर नहीं दिया जा सकता। थॉमस जी ने भी एमएसपी पर खरीद को खारिज कर दिया था। इन्होंने कहा 50 प्रतिशत की वृद्धि निर्धारित करने से मंडी में विकृति आ जाएगी और ये किसी भी कीमत पर नहीं किया जा सकता है।
उन्हाेंने कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एमएसपी के दामों को कई गुना बढ़ाया गया है। बाजरा का एमएसपी मूल्य 1250 था, हमने बढ़ाकर 2625 रुपये कर दिया है। जौ का समर्थन मूल्य 1100 रुपये था, जिसे बढ़ाकर 1850 रुपये कर दिया है। ज्वार हाइब्रिड 1500 से 3571, मक्का 1310 से 2225, रागी 1500 से 4290, गेहूं 1400 से 2275 रुपये कर दिया है। किसान उड़द, मसूर और तुअर जितनी भी पैदा करेगा, मोदी की सरकार उसे खरीदने का काम करेगी। तत्कालीन यूपीए सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है, जबकि नरेन्द्र मोदी की सरकार ने 50 प्रतिशत लागत में मुनाफा जोड़कर मिनिमम सपोर्ट प्राइज तय किए हैं, किसान को ठीक दाम देने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। किसान के कल्याण और विकास में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
उन्हाेंने कहा कि मनरेगा में 100 दिन का रोजगार देना हमारी प्रतिबद्धता है। कई परिवार ऐसे हैं, जो 50 दिन का रोजगार मांगते हैं। कोई 60 दिन का रोजगार मांगते हैं, लेकिन जितने दिन का वो रोजगार मांगते हैं, उतना रोजगार दिया जाता है और नरेन्द्र मोदी की सरकार में आवंटन को 3 गुना ज्यादा बढ़ाया गया है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि एक स्वर्गीय प्रधानमंत्री कहते थे कि मैं एक रुपया भेजता हूं तो नीचे 15 पैसा ही पहुंचता है, लेकिन नरेन्द्र मोदी ने कहा है ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा। अगर इस योजना का कोई दुरुपयोग कर रहा है, अनियमितता कर रहा है, गाइडलाइन के बाहर जाकर काम कर रहा है, फंड को डाइवर्ट कर रहा है, योजना का नाम बदल रहा है तो ऐसे मामले में केन्द्र सरकार उन पर कारवाई कर रही है।
उन्हाेंने कहा कि पश्चिम बंगाल ने कई अनियमितताएं की हैं, कई याेजनाआें काे डाइवर्ट किया है। कई योजनाओं का नाम बदला है, इसलिए एफआईआर भी हुई है और पश्चिम बंगाल सरकार अधिकारियों को बचाने का काम कर रही है। ये पैसा मजदूरों के लिए है, लेकिन उनके पास खाने के लिए नहीं है।
उन्हाेंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी के नेतृत्व में हमारी सरकार अनेक उपाय कर रही है। उनमें से एक उपाय है किसान का उत्पादन बढ़ाना। मुझे बताते हुए प्रसन्नता है कि प्रधानमंत्री के प्रयत्नों के कारण देश के अन्न के भंडार भरे हैं। आज हमारी कृषि विकास दर 4 प्रतिशत के आसपास है, लेकिन अन्न के भंडार या फल या सब्जी के उत्पादन के बाद एक समस्या आती है और वो समस्या है उसके उचित भंडारण की। प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों के हित में एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड बनाने का एक बड़ा कदम उठाया।
चौहान ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सूक्ष्म सिंचाई जैसी अनेक परियोजनाओं पर काम चल रहा है। प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिंचाई योजना के अंतर्गत 70 लाख हेक्टेयर जमीन इसके अंतर्गत लाई गई है, जिससे कम पानी में ड्रिप और स्प्रिंकलर के माध्यम से सिंचाई की अधिकतम व्यवस्था हो सके और किसान की लागत भी कम की जा सके।
उन्हाेंने बताया कि इसके अलावा नरेन्द्र मोदी की सरकार रिवर लिंकिंग जैसे प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। केन-बेतवा जैसे कई प्रोजेक्ट शुरू हुए हैं, उन पर भी पानी की व्यवस्था के लिए सरकार ने योजना बनाई है। सिंचाई का रकबा भी बढ़ाया जा रहा है। जहां तक प्राकृतिक आपदा का सवाल है तो उसमें राज्य जब अपनी रिपोर्ट भेजते हैं तो केंद्र सरकार अपने दल को भेजकर परीक्षण करवाती है और जो नियम और प्रक्रिया है उसके अंतर्गत सहायता देने का काम करती है।
चौहान ने कहा कि मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हाे रही है कि प्राकृतिक खेती मिशन प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में प्रारंभ किया जा रहा है। ज्यादा केमिकल फर्टिलाइजर के उपयोग के कारण मानव शरीर पर भी प्रभाव पढ़ रहा है। जमीन की उत्पादक क्षमता भी कम हो रही है। आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती भी हमें सुरक्षित रखना है। इसलिए प्राकृतिक खेती पर पूरी गंभीरता के साथ सरकार काम कर रही है और प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी देने के प्रावधान पर गंभीरता पूर्वक विचार हो रहा है, जिससे लागत भी घट सके और सुरक्षित उत्पाद भी हमें मिल सकें। साथ ही धरती का स्वास्थ्य भी बच सके।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / बिरंचि सिंह / रामानुज