जोधपुर, 22 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । संभाग के बाड़मेर जिले में मंगलवार सुबह ट्रेन हादसे की खबर से हडक़ंप मच गया। सूचना मिली कि बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के एक डिब्बे पर दूसरा डिब्बा चढ़ गया है। इस पर रेलवे की ओर से आपातकालीन सायरन बजने लगा। इसके साथ ही सरकारी मशीनरी एक्टिव हो गई और तमाम अधिकारी मौके पर पहुंचे। आरपीएफ, रेलकर्मी, पुलिस, मेडिकल टीम, एम्बुलेंस, फायर बिग्रेड, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सिविल डिफेंस की टीमें मौके पर पहुंची। बचाव कार्य का ऑपरेशन किया गया। लोगों को राहत तब मिली, जब पता चला कि यह एक मॉकड्रिल था।
मॉक ड्रिल के दौरान अधिकारियों ने यात्रियों के बचाव व राहत कार्यों का अवलोकन किया। कोच में फंसे हुए यात्रियों को आपदा प्रबंधन टीमों ने बाहर निकाला। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक यह रेलवे की ओर से मॉक ड्रिल थी। इससे पीछे मुख्य उद्देश्य यही था कि दुर्घटना होने पर कैसे जल्दी से जल्दी उससे निपटा जाए। दुर्घटना में फंसे लोगों को बचाना सबसे जरूरी होता है। इसके लिए मॉकड्रिल में सभी एजेंसियों ने भाग लिया। इसमें एनडीआरएफ और रेलवे सहित तमाम टीमों ने भाग लिया। इस दौरान सभी टीमों ने अच्छा कार्य किया गया।
हादसे के बाद बचाव में जुटी टीम
एनडीआरफ टीम के योगेश कुमार ने बताया कि सीईटी परीक्षा होने के बावजूद प्रशासन ने मॉकड्रिल में बढ़ चढ़ हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि मॉकड्रिल इसलिए करवाया जाता है कि इस तरह की दुर्घटना के समय सभी विभाग समन्वय बिठाकर जल्द से जल्द राहत कार्य शुरू कर सके। मॉक ड्रिल में सभी एजेंसियों ने भाग लिया। एनडीआरएफ ने बढ़-चढक़र हिस्सा लिया। एसडीआरएफ, रेलवे पुलिस टीम, राजस्थान पुलिस, मेडिकल टीम, सिविल डिफेंस टीम, बीएसएफ आदि सभी ने यह दिखाया कि कैसे हम ऐसी घटनाओं से डील कर सकते हैं। सभी ने अच्छा काम किया। इससे यह पता चलता है कि अगर ऐसी आपदा आई तो हमें किससे क्या सहयोग लेना है।
रेलवे के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार- बाड़मेर रेलवे स्टेशन के पिलर नंबर 835 के पास एक्सीडेंट का खास सेटअप तैयार किया गया था। इसमें दो डिब्बे यूज किए गए। डिब्बों को क्रेन से डिरेल किया गया। एक डिब्बा पटरी पर आड़ा-तिरछा रखा गया। दूसरे डिब्बे को क्रेन की मदद से ऊपर चढ़ाया गया। देखने पर लग रहा था सच में भीषण एक्सीडेंट हो गया है। यह इसलिए किया गया कि ऊंचाई पर फंसे घायल यात्रियों को किस तरह निकाला जा सकता है। इसके लिए एनडीआरफ की टीम ने खिड़कियां काटने और रोप-वे बनाकर स्ट्रेचर पर घायलों को निकालने का अभ्यास किया।
(Udaipur Kiran) / सतीश