Jammu & Kashmir

एमएमयू ने क्षेत्र में सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे को बाधित करने के प्रयासों पर गंभीर चिंता व्यक्त की

श्रीनगर, 15 जनवरी (Udaipur Kiran) । मुत्तहिदा मजलिस-ए-उलेमा (एमएमयू) जम्मू-कश्मीर ने क्षेत्र में सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे को बाधित करने के प्रयासों पर गंभीर चिंता व्यक्त की। संस्था ने कहा कि हाल ही में एक व्यक्ति द्वारा पूज्य साथियों और खुलफा-ए-राशिदीन के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी बेहद दुखद और अस्वीकार्य है।

पैगंबर मुहम्मद के साथियों को इस्लाम में एक उच्च स्थान प्राप्त है और उनके प्रति किसी भी तरह का अनादर मुस्लिम उम्मा की भावनाओं का गंभीर अपमान है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इस तरह के बयान न केवल इस्लामी शिक्षाओं की भावना के खिलाफ हैं बल्कि हमारे समुदाय को विभाजित करने का एक जानबूझकर प्रयास भी है जिसकी जम्मू-कश्मीर में एकता और आपसी सम्मान की लंबे समय से चली आ रही परंपरा है।

एमएमयू ने इस तरह की कार्रवाइयों की कड़ी निंदा की और सभी संप्रदायों के सदस्यों से अपने भाषण और कार्यों में ज्ञान, संयम और आपसी सम्मान का प्रयोग करने का आह्वान किया।

बयान में कहा गया है कि इस्लाम हमें एकता बनाए रखने और मुसलमानों के बीच मतभेद पैदा करने वाले कार्यों से बचने की शिक्षा है। हम सभी संप्रदायों के धार्मिक विद्वानों और नेताओं से आग्रह करते हैं कि वे अपने अनुयायियों को आस्था की पवित्रता को बनाए रखने और भाईचारे के मूल्यों को बनाए रखने की दिशा में मार्गदर्शन करें। अधिकारियों से इस तरह की भड़काऊ टिप्पणी करने वालों के खिलाफ तत्काल और उचित कार्रवाई करने का भी आग्रह किया ताकि क्षेत्र में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को और अधिक बाधित होने से रोका जा सके।

एमएमयू ने जम्मू-कश्मीर में एकता, समझ और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और समाज के सभी वर्गों से विभाजनकारी बयानबाजी को खारिज करने और हमारे साझा बंधनों को मजबूत करने की दिशा में सामूहिक रूप से काम करने का आह्वान किया।

(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह

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