Madhya Pradesh

भारत की रसोई विश्वमंच पर प्रबंधन का उत्कृष्ट एवं श्रेष्ठ उदाहरण : मंत्री परमार

उच्च शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार

– भारत केंद्रित शिक्षा के लिए शिक्षा में भारतीय ज्ञान परम्परा के समृद्ध समावेश की आवश्यकता : उच्च शिक्षा मंत्री

भोपाल, 3 मई (Udaipur Kiran) । उच्च शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार ने कहा कि भारत की गृहणियों की रसोई में कोई तराजू नहीं होता है, गृहिणियों को भोजन निर्माण के लिए किसी संस्थान में अध्ययन करने की आवश्यकता नहीं होती है। भारतीय गृहिणियों में रसोई प्रबंधन का उत्कृष्ट कौशल, नैसर्गिक एवं पारम्परिक रूप से विद्यमान है। भारत की रसोई, विश्वमंच पर प्रबंधन का उत्कृष्ट आदर्श एवं श्रेष्ठ उदाहरण है। भारतीय समाज में ऐसे असंख्य संदर्भ, परम्परा के रूप में प्रचलन में हैं। हमारे समाज में विद्यमान परम्परागत ज्ञान पर, गर्व के भाव के साथ अध्ययन, शोध एवं अनुसंधान करके दस्तावेजीकरण करने की आवश्यकता है।

मंत्री परमार शनिवार को भोपाल के श्यामला हिल्स स्थित राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (एनआईटीटीटीआर) के सभागृह में ‘युवा सामाजिक विज्ञान संकाय के लिए आयोजित दो सप्ताह के दक्षता निर्माण कार्यक्रम’ के समारोप सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मंत्री परमार ने प्रतिभागी प्राध्यापकों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए।

उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि कृतज्ञता का भाव, भारत की सभ्यता एवं विरासत है। किसी के कार्यों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करना, कृतज्ञता भाव रूपी भारतीय दर्शन का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा कि पेड़ों, जलस्रोतों सूर्य आदि प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों के पूजन एवं उपासना की पद्धति भारतीय समाज में परंपरागत रूप से विद्यमान है। यह परंपरा प्रकृति सहित समस्त ऊर्जा स्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए, उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का भाव है।

उन्होंने कहा कि हम सभी कृतज्ञतावादी है, न कि रूढ़िवादी; समाज में विद्यमान परम्पराओं के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को वैश्विक मंच पर युगानुकुल परिप्रेक्ष्य में पुनः शोध एवं अनुसंधान के साथ, दस्तावेज से समृद्ध करने की आवश्यकता है। हमारे पूर्वज सूर्य उपासक थे, प्राकृतिक ऊर्जा स्रोतों की उपयोगिता और महत्व को जानते थे।

परमार ने कहा कि स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष 2047 तक भारत, सौर ऊर्जा के माध्यम से ऊर्जा के क्षेत्र में आत्म निर्भर होकर, अन्य देशों की पूर्ति करने में समर्थ देश बनेगा। साथ ही वर्ष 2047 तक खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्म निर्भर होकर, अन्य देशों का भरण पोषण करने में भी सामर्थ्यवान देश बनेगा। हम सभी की सहभागिता से, अपने पूर्वजों के ज्ञान के आधार पर पुनः विश्वमंच पर सिरमौर राष्ट्र का पुनर्निर्माण होगा। इसके लिए हमें स्वाभिमान के साथ हर क्षेत्र में अपने परिश्रम और तप से आगे बढ़कर, विश्वमंच पर अपनी मातृभूमि का परचम लहराना होगा। अपनी गौरवशाली सभ्यता, भाषा, इतिहास और ज्ञान के आधार पर, हम सभी की सहभागिता से भारत पुनः विश्वगुरु बनेगा।

मंत्री परमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने भारतीय ज्ञान परम्परा पर पुनर्चिंतन का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया है। भारत केंद्रित शिक्षा के लिए साहित्य और पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परम्परा के समृद्ध समावेश की आवश्यकता है। भारतीय शिक्षा में समाज शास्त्र को, भारतीय दृष्टिकोण के साथ सही परिप्रेक्ष्य में समझने एवं प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। इसके लिए तपस्वी के रूप में हम सभी को सहभागिता और परिश्रम करने की आवश्यकता है। समाज के समस्त प्रश्नों का समाधान, शिक्षा के मंदिरों से ही संभव है, इसमें शिक्षक की महती भूमिका होगी। शिक्षक के जीवन चरित्र से विद्यार्थियों में व्यवहारिक सीख विकसित होती है। विद्यार्थी, शिक्षकों के व्यवहारिक जीवन का अनुसरण करते हैं।

परमार ने कहा कि शिक्षा के मंदिर चरित्र निर्माण के कारखाने हैं, यहां सरस्वती पूजन जैसी पारंपरिक क्रियाओं से विद्यार्थियों में मातृशक्ति के प्रति श्रद्धा एवं आदर का संस्कार रोपित होता है। परमार ने कहा कि हर विद्या-हर क्षेत्र में विद्यमान भारतीय ज्ञान परम्परा को द्रुतगति के साथ शोध एवं अनुसंधान करना होगा।

यह क्षमतावर्धन कार्यक्रम केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय अन्तर्गत भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) के प्रायोजन में, दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान भोपाल द्वारा 22 अप्रैल से 3 मई तक आयोजित किया गया। समारोप सत्र के दौरान प्रतिभागी शिक्षाविदों ने शिक्षा में भारतीय दृष्टिकोण के समावेश एवं भारत केंद्रित शिक्षा को लेकर दो सप्ताह की कार्यशाला में प्राप्त ज्ञान, नवदृष्टि एवं अनुभवों को साझा भी किया।

इस अवसर पर एनआईटीटीटीआर के निदेशक डॉ. चंद्रचारु त्रिपाठी, दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के निदेशक डॉ. मुकेश मिश्रा, संस्थान के सचिव डॉ. उमेश चन्द्र शर्मा एवं प्रो. अल्पना त्रिवेदी सहित देश भर से पधारे प्रतिभागी विद्वत प्राध्यापकगण एवं अन्य विद्वतजन उपस्थित थे।

(Udaipur Kiran) तोमर

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