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आईएफएससी सूचकांकों पर सूचीबद्ध कंपनियों के लिए कारोबार में न्यूनतम शेयरों की मात्रा घटकर हुई 10 फीसदी

वित्तॉ मंत्रालय के लोगो का फाइल फोटो

नई दिल्‍ली, 29 अगस्‍त (Udaipur Kiran) । वित्‍त मंत्रालय ने गांधीनगर अंतरराष्‍ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) में शेयर सूचकांकों में सूचीबद्ध होने के लिए कंपनियों को आकर्षित करने के प्रयास में कारोबार के लिए उपलब्ध शेयरों की जरूरतों को 25 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया है। गांधीनगर स्थित गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी (गिफ्ट सिटी) विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 के तहत देश का पहला अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र है।

वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को जारी एक बयान में बताया कि आर्थिक मामलों के विभाग ने प्रतिभूति अनुबंध विनियमन नियम (एससीआरआर), 1956 में संशोधन किया है, ताकि वैश्विक मानकों के अनुरूप अंतरराष्‍ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों के तहत अंतरराष्‍ट्रीय एक्सचेंजों में सूचीबद्ध होने की इच्छुक भारतीय कंपनियों के लिए सूचीबद्धता आवश्यकताओं को आसान बनाया जा सके। इससे वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ने वाली तथा अन्य बाजारों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के अवसरों की तलाश करने वाली भारतीय कंपनियों को लाभ होगा।

मंत्रालय ने कहा कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन (गैर-ऋण उपकरण) 2019 और कंपनियां (अनुमेय क्षेत्राधिकार में शेयरों की सूचबीद्धता) नियम 2024 के तहत अंतररष्ट्रीय एक्सचेंजों पर भारत में निगमित कंपनियों के इक्विटी शेयरों की प्रत्यक्ष लिस्टिंग’ एक साथ मिलकर सार्वजनिक भारतीय कंपनियों को जीआईएफटी-आईएफएससी में अनुमत अंतरराष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंजों में अपने शेयर को जारी करने और सूचीबद्ध करने में सक्षम बनाने के लिए एक व्यापक नियामक ढांचा प्रदान करती है।

वित्‍त मंत्रालय के मु‍ताबिक इसे और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए नए नियमों में यह प्रावधान किया गया है, ताकि आईएफएससी में केवल अंतरराष्ट्रीय सूचकांक पर सूचीबद्ध होने की इच्छुक भारतीय कंपनियों के लिए प्रस्ताव दस्तावेज के अनुसार जनता को न्यूनतम पेशकश एंव आवंटन के लिए निर्गम-पश्चात शेयर की आवश्यकता कम से कम 10 फीसदी होगी। ऐसी कंपनियों के लिए निरंतर सूचीबद्धता की जरूरत भी 10 फीसदी निर्धारित की गई है, जैसा कि एससीआरआर के तहत रेखांकित किया गया है। एससीआरआर में संशोधन से उभरते एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में भारतीय स्टार्टअप तथा कंपनियों के लिए वैश्विक पूंजी तक पहुंच आसान होगी।

उल्‍लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर श‍क्तिकांत दास ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही के दौरान गुजरात स्थित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में सॉवरेन ग्रीन बांड का कारोबार शुरू हो सकता है। इससे पहले आरबीआई ने अप्रैल, 2024 में घोषणा की थी कि वह गिफ्ट सिटी में सॉवरेन ग्रीन बांड के व्यापार को सक्षम करने के लिए एक रूपरेखा जारी करेगा। सरकार वित्‍त वर्ष 2022-23 से ग्रीन बॉन्ड के जरिए धन जुटा रही है और पिछले दो वर्षों में कुल 36,000 करोड़ रुपये जुटा चुकी है।

(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर

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