जोधपुर, 30 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । साधकों के भीतर आध्यात्मिक जागृति और सम्पूर्ण स्वास्थ्य लाभ को बढ़ावा देने के लिए गुरुदेव आशुतोष महाराज के दिव्य मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा महिला पीजी कॉलेज प्रतापनगर के ऑडिटोरियम में एक विलक्षण ध्यान शिविर का आयोजन किया गया। साधकों को शारीरिक एवं आत्मिक स्तर पर सकारात्मक परिवर्तन प्रदान करना इस सामूहिक ध्यान शिविर का उद्देश्य था, ताकि एक साधक स्वयं के भीतर उतर अपने आध्यात्मिक विकास की यात्रा शुरू करने के लिए प्रेरित हो सके।
शिविर का शुभारम्भ ईश्वर के चरण-कमलों में प्रार्थनाओं के श्रद्धा-पुष्प अर्पित करते हुए किया गया। आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी ऋतंभरा भारती ने समझाया कि कैसे ध्यान की आलौकिक शक्ति एक शिष्य को उसके सतगुरु के साथ आन्तरिक रूप से जोडऩे में सहायक है। इस ध्यान शिविर में सामूहिक ध्यान सत्र आयोजित किए गए जहां प्रतिभागियों ने शुद्धता और शांति की भावना का अनुभव करते हुए स्वयं को दिव्य ऊर्जा में आकंठ डूबा पाया। डीजेजेएस प्रतिनिधियों ने निरंतर आध्यात्मिक उन्नति के लिए ध्यान को अपने दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बनाने पर जोर दिया। जिसमें साध्वी ने ध्यान के महत्व को समझाते हुए बताया कि यह सर्व विदित है कि ब्रह्मज्ञान आधारित ध्यान से ही आध्यात्मिक जागृति और आंतरिक परिवर्तन संभव है। ध्यान एक साधक को आत्म-चिंतन और आत्म-निरीक्षण करने के लिए सदैव प्रोत्साहित करता रहता है, जिससे एक साधक के विचारों और व्यवहार को सदा सही दिशा ही प्राप्त होती रहती है। यह विकसित आत्म-जागृति व्यक्तिगत विकास, आत्म-खोज और जीवन के वास्तविक लक्ष्य की गहरी समझ प्रदान करती है।
साध्वी ने आनंदपूर्वक इस बात पर भी बल दिया कि एक शिष्य जब चेतना की गहराई में उतरकर अपने भीतर उस दिव्यता का अनुभव करता है तब ध्यान की यह प्रक्रिया ही गुरु-शिष्य के बीच एक दिव्य डोर के रूप में कार्य करती है। साथ ही ध्यान शिविर में महत्मा बुद्ध व उनके शिष्य मोदकल्याणन पर एक नाटक भी किया गया जिसमे सभी साधकों के लिए एक परिवर्तनकारी यात्रा के रूप में कार्य किया। इससे वे आत्मिक उत्थान और परमात्मा के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करने में ध्यान की भूमिका को गहराई से समझ पाए।
(Udaipur Kiran) / सतीश