लखनऊ, 15 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । अगले महीने से एमडीआर टीबी को 6 महीने में ठीक करने की दवाएं देश में उपलब्ध होंगी। यह जानकारी डीडीजी टीबी (केंद्रीय टीबी प्रभाग उप महानिदेशक) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार डाॅ. उर्वशी सिंह ने दी। वह केजीएमयू के कलाम सेंटर में टीबी की जंग में एन्टी माइक्रोबियल रेजिस्टेन्स के विषय आयोजित एक वैज्ञानिक कार्यक्रम को आनलाइन सम्बोधित कर रहीं थी।
इस आयोजन में लगभग 200 चिकित्सक कलाम सेन्टर से तथा 150 चिकित्सक ऑनलाइन माध्यम से प्रतिभागी रहे। इस हाईब्रिड कार्यक्रम का ऑनलाइन प्रसारण इको इन्डिया नामक संस्था द्वारा पूरे देश में किया गया। इस कार्यक्रम के आयोजक रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष तथा नेशनल टास्क फोर्स, राष्ट्रीय उन्मूलन कार्यक्रम के सदस्य डॉ0 सूर्यकान्त ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य टीबी के उन्मूलन में आ रही सबसे बड़ी चुनौती ड्रग रेजिस्टेंस टीबी (एमडीआर एवं एक्सडीआर) के बारे में टीबी के क्षेत्र में कार्यरत सभी चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इसके कारण और निवारण के बारे में ज्ञानवर्धन कराना था।
केजीएमयू की कुलपति डॉ0 सोनिया नित्यानंद ने कहा कि उप्र के चिकित्सकों को एमडीआर टीबी की नई दवाओं के उपयोग के लिए केजीएमयू प्रशिक्षण देगा।
डॉ0 सूर्यकांत ने बताया कि उत्तर प्रदेश में एमडीआर एवं एसडीआर टीबी की चुनौती से निपटने के लिए रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, केजीएमयू को द यूनियन, डब्लूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) तथा भारत सरकार ने 10 अक्टूबर 2022 को टीबी के उपचार हेतु उत्कृष्ट केंद्र (सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस) के रूप में चयनित किया था। तब से लेकर पूरे प्रदेश में केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग को टीबी की चिकित्सा का हब के रूप में विकसित किया गया है। भविष्य में उत्तर प्रदेश के 44 अन्य जिलों को टीबी के उपचार हेतु उत्कृष्ट केंद्र के स्पोक्स के रूप में बनाने की योजना है, जिससे उत्तर प्रदेश को शीघ्र ही टीबी मुक्त किया जा सके।
डाॅ0 शैलेन्द्र भटनागर (स्टेट टीबी ऑफिसर, उप्र) ने बताया कि प्रदेश को टीबी मुक्त करने के लिए 911 सीबीनॉट मशीन, 14 टीबी कल्चर लैब तथा 24 नोडल ड्रग रेजिस्टेन्ट केंद्र की स्थापना की जा चुकी है।
—————
(Udaipur Kiran) / बृजनंदन