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उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और सिद्ध योग में मनाई गई मौनी अमवस्या

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और सिद्ध योग में मनाई गई मौनी अमवस्या

जयपुर, 29 जनवरी (Udaipur Kiran) । वर्ष 2025 में माघ माह की पहली अमावस्या बुधवार को मौनी अमावस्या के रुप में मनाई गई। उत्तरायण की पहली उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और सिद्धी योग में होने से इसका लाभ कई गुणा बढ़ गया। मौनी अमावस्या पर दिनभर मंदिरों और गौशालाओं में दान-पुण्य का सिलसिला जारी रहा। छोटीकाशी के सभी प्रमुख मंदिरों में विशेष झांकियां सजाई गई। लेकिन इस बाद तीर्थं नगरी गलता जी फिल्म शूटिंग के चलते भक्त आस्था की डुबकी नहीं लगा पाएं और श्रद्धालुओं को वहां से निशान ही लौटना पड़ा। जो लोग पवित्र नदियों में स्नान नहीं कर पाएं, उन लोगों ने गोविंद देवजी मंदिर की ओर से सोमवार को वितरित किए कुंभ जल को पानी में मिलाकर स्नान का लाभ उठाया।

मौनी अमावस्या पर दिनभर मंदिरों और गौशालाओं में दान-पुण्य का सिलसिला जारी रहा। छोटीकाशी के सभी प्रमुख मंदिरों में विशेष झांकियां सजाई गई। जो लोग पवित्र नदियों में स्नान नहीं कर पाएं, उन लोगों ने गोविंद देवजी मंदिर की ओर से सोमवार को वितरित किए कुंभ जल को पानी में मिलाकर स्नान का लाभ उठाया।

ज्योतिषाचार्य डॉ.महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि महाकुंभ में मौनी अमावस्या तिथि के दिन विशिष्ट त्रिवेणी संयोग बन रहा है। मौनी अमावस्या तिथि पर 144 वर्ष बाद समुद्र मंथन तुल्य योग बन रहा है जो कि विशेष फलदायी है। यह योग समुद्र मंथन के योग के समान है। समुद्र मंथन तुल्य योग मंगलवार अपराह्न 2:35 से शुरू हो गया जो कि 8 फरवरी सुबह 7:25 बजे तक रहेगा। इस योग में स्नान करने पर अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होगा। शास्त्रों और पुराणों में वर्णन है कि महाकुंभ में मौनी अमावस्या तिथि पर पवित्र संगम में स्नान करना मोक्षदायक माना गया है। श्रद्धालु किसी विशेष योग और नक्षत्र के बजाए सुविधा के साथ किसी भी घाट पर स्नान करें, उन्हें संगम स्नान जैसे ही पुण्य फल की प्राप्ति होगी।

144 साल बाद बन रहा है विशिष्ट संयोग:

डॉ. मिश्रा ने बताया कि पंचांग की गणना के अनुसार माघ मास की अमावस्या तिथि 28 जनवरी को शाम को शुरू हो गई। यह 29 जनवरी को शाम 06: 05 मिनट तक रहेगी। माघ मास की अमावस्या तिथि पर मकर राशि में सूर्य, चंद्रमा और बुद्ध तीनों ग्रह स्थित हो रहे हैं तथा बृहस्पति ग्रह नवम दृष्टि में है। इस विशिष्ट संयोग को त्रियोग या त्रिवेणी योग कहा जाता है। यह त्रिवेणी योग समुद्र मंथन काल के योग के समान है। इस योग में त्रिवेणी स्नान विशेष फलदायी है। मौनी अमावस्या के दिन ही वैवस्वत मनु का जन्म हुआ था। इस दिन मौन व्रत रख कर स्नान करना शुभ माना जाता है। वैसे तो मौनी अमावस्या पर स्नान का उत्तम मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त में होता है, लेकिन पूरे दिन ही मौनी अमावस्या तिथि का स्नान करना शुभ माना गया है। उदया तिथि होने कारण पूरे दिन ही अमावस्या का स्नान होगा। जो लोग त्रिवेणी संगम में स्नान नहीं कर पा रहे हैं वो संगम या गंगा जल को पानी में मिलाकर स्नान करें, उससे उन्हें संगम स्नान का ही फल प्राप्त होगा।

गायत्री शक्तिपीठ के तत्वावधान में किया गया दीपयज्ञ

करधनी गायत्री महिला मंडल की ओर से मौनी अमावस्या पर कालवाड़ रोड झोटवाड़ा के गणेश नगर विस्तार में दीपयज्ञ का आयोजन किया गया। आयोजन से जुड़ी कुसुमलता सिंघल ने बताया कि महिलाएं अपने घर से पांच दीपक लेकर आई । महिला सशक्तिकरण और राष्ट्र निर्माण के लिए आह्वावित देवी-देवताओं का पंचोपचार पूजन कर अक्षत के माध्यम से आहुतियां प्रदान की गई। गायत्री शक्तिपीठ कालवाड़ के ट्रस्टी प्रहलाद शर्मा, राजेंद सैनी ने यज्ञ संपन्न कराया।

श्रद्धालु इसलिए नहीं लगाए पाएं आस्था की डुबकी

गालव ऋषि की तपोभूमि पर प्रत्येक माह की अमावस्या को श्रद्धालु शाही स्नान करने पहुंचते है। लेकिन इस बार 144 साल बाद बने विशिष्ट संयोग पर भक्तगण मौनी अमावस्या पर देव स्थान विभाग की लापरवाही के चलते शाही स्नान नहीं कर पाएं और उन्हें निशान ही लौटना पड़ा। बताया जा रहा है कि तीर्थं नगरी गलता जी में फिल्म की शूटिंग के चलते गलता कुंड की ओर जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया गया था। जिसकी जानकारी किसी के पास नहीं थी और श्रद्धालु मौनी अमावस्या के चलते अल सुबह ही शाही स्नान के लिए वहां पहुंच गए, लेकिन रास्ता बंद होने के कारण वो निशान होकर वापस लौट गए। देवस्थान विभाग ने मुख्य प्रवेश द्वार पर ही शूटिंग का सेटअप लगवा रखा था और इसके अलावा कोई दूसरी वैकल्पिग व्यवस्था भी नहीं की।

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(Udaipur Kiran)

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