झुंझुनूं, 26 नवंबर (Udaipur Kiran) । मणिपुर में शहीद हुए झुंझुनूं के जवान विनाेद सिंह शेखावत का अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान से किया गया। मंगलवार दोपहर करीब डेढ़ बजे शहीद के बेटे राज्यवर्धन ने मुखाग्नि दी। मंगलवार दोपहर करीब 12 बजे शहीद की पार्थिव देह पैतृक गांव सूरजगढ़ के काजड़ा पहुंची थी। शहीद की पत्नी (वीरांगना) सुमन कंवर, बड़ी बेटी नैंसी, छोटी बेटी खुशी सहित पूरा परिवार का रो-रोकर बुरा हाल हाे गया।
इससे पहले शहीद के घर जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल सुरेश कुमार जांगिड़ पहुंचें। वीरांगना सुमन कंवर ने अंतिम दर्शन के दौरान शहीद की पार्थिव देह को पकड़ लिया। बड़ी मुश्किल से छुड़ाया गया।
शहीद के बच्चों को तिरंगा सौंपा गया। बच्चों ने तिरंगे को माथे से लगाकर पिता को याद किया।
शहीद के बच्चों को तिरंगा सौंपा गया। बच्चों ने तिरंगे को माथे से लगाकर पिता को याद किया।
शहीद के छोटे भाई रूपसिंह शेखावत ने बताया कि भैया अक्सर कहा करते थे कि देखना एक दिन तिरंगे मैं लिपटकर आऊंगा। विनोद सिंह शेखावत को 23 नवंबर को रात 11:40 बजे सर्विलांस ड्यूटी के दौरान तबीयत बिगड़ी थी। उन्हें इम्फाल (मणिपुर) स्थित शिजा हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट ले जाया गया था। वहां रात करीब 2:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली थी।
शहीद के गांव के पूर्व सैनिक दिनेश सहारण ने कहा- शहीद के सम्मान में तिरंगा यात्रा निकाली गई है।
यात्रा में गांव के अलावा आसपास के इलाकों के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए।
सेना के जवानों की शहादत पर इस तरह की रैली पिछले चार साल से निकाली जा रही है। इसमें युवा काफी संख्या में हिस्सा लेते हैं।
शहीद को सेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया
शहीद को सेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
बड़ी संख्या में लोग शहीद के अंतिम दर्शन करने के लिए पहुंचे।
पार्थिव देह घर पहुंचते ही चीख-पुकार मची
तिरंगा यात्रा पैतृक काजड़ा पहुंचते ही शहीद के घर में चीख-पुकार मच गई।
पार्थिव देह को घर के आंगन में रखा गया। इसके बाद परिवार के लोगों को अंतिम दर्शन करवाए गए। शहीद विनोद सिंह की पार्थिव देह को सुबह 11 बजे सेना के ट्रक से काजड़ा चुंगी पोस्ट पर लाया गया, जहां ग्रामीणों ने पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
जेसीबी मशीन से फूलों की वर्षा की गई। इसके बाद तिरंगा यात्रा शुरू हुई, जिसमें देशभक्ति गीतों के बीच बड़ी संख्या में लोग वाहनों के साथ शामिल हुए।
विनोद सिंह (शहीद) के छोटे भाई रूपसिंह शेखावत ने बताया कि वे छह महीने पहले जयपुर शिफ्ट हो गए थे।
करीब तीन महीने पहले परिवार से मिलकर वापस ड्यूटी पर गए थे।
वो (विनोद) अक्सर कहा करते थे कि देखना एक दिन तिरंगे में लिपटकर आऊंगा।
रूपसिंह ने भावुक होकर कहा कि देश के लिए कुर्बान होना बहुत बड़ी बात है। हमारा दुख इतना गहरा है कि शब्दों में बयां करना मुश्किल है।
दुख के साथ थोड़ी सी खुशी भी है कि उन्हें देश के लिए शहीद होने का सौभाग्य मिला। यह सम्मान हर किसी को नहीं मिलता।
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(Udaipur Kiran) / रोहित