जम्मू 16 फरवरी (Udaipur Kiran) । महाराजा हरि सिंह जी के परपोते मार्तंड सिंह ने संसद में डोगरी सहित छह अतिरिक्त भाषाओं में अनुवाद सेवाओं का विस्तार करने के लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के फैसले का गर्मजोशी से स्वागत किया है।
भाषाई समावेशिता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में इस कदम की सराहना करते हुए मार्तंड सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि संसदीय कार्यवाही में डोगरी को शामिल करना जम्मू कश्मीर के लोगों और दुनिया भर के डोगरा लोगों के लिए बहुत गर्व की बात है। उन्होंने कहा राष्ट्रीय स्तर पर डोगरी की यह मान्यता हमारी सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करती है और यह सुनिश्चित करती है कि देश की सर्वाेच्च लोकतांत्रिक संस्था में डोगराओं की आवाज सुनी जाए।
विशेष रूप से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हाल ही में छह और भाषाओं. डोगरी, बोडो, मैथिली, मणिपुरी, संस्कृत और उर्दू में अनुवाद सेवाओं के विस्तार की घोषणा की है। अब तक हिंदी और अंग्रेजी के साथ साथ दस क्षेत्रीय भाषाओं. असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, तमिल और तेलुगु में अनुवाद सेवाएं उपलब्ध थीं। मार्तंड सिंह ने आगे बताया कि संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 22 भाषाओं में से एक डोगरी की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत बहुत समृद्ध है। उन्होंने कहा यह निर्णय डोगरी भाषी सांसदों के अधिक प्रतिनिधित्व को प्रोत्साहित करेगा और हमारी विरासत के साथ गहरा संबंध बनाएगा। उन्होंने देश की भाषाई विविधता को मान्यता देने के लिए केंद्र सरकार का आभार भी व्यक्त किया और डोगराओं की विरासत को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने कहा यह निर्णय जम्मू और कश्मीर की सांस्कृतिक पहचान को मान्यता देने में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और राष्ट्रीय विमर्श में क्षेत्रीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों को दर्शाता है।
(Udaipur Kiran) / मोनिका रानी
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