– महाराष्ट्र शिक्षण मंडल के शताब्दी वर्ष समारोह का शुभारंभ
जबलपुर, 16 जनवरी (Udaipur Kiran) । केंद्रीय नागरिक उड्डयन एवं सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने कहा कि मराठी भाषियों का शिक्षा के प्रति हमेशा आग्रह का भाव रहा है और देश के हर राज्य में स्थानीय भाषा का सम्मान और सेवा करते हुये मराठी समाज ने शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत कार्य किया है। उमराठी भाषियों का शिक्षा के प्रति सभी लोगों से हमेशा आग्रह का भाव रहा है। शिक्षा के केंद्र के रूप में विख्यात पुणे शहर के बाहर भी मराठी भाषियों ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया है।
केन्द्रीय मंत्री मोहोल गुरुवार शाम को जबलपुर में आयोजित महाराष्ट्र शिक्षण मण्डल जबलपुर के साल भर चलने वाले शताब्दी वर्ष समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे। महाराष्ट्र शिक्षण मण्डल के शताब्दी वर्ष समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने की। समारोह का शुभारंभ केंद्रीय राज्य मंत्री तथा प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री ने माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया।
केंद्रीय मंत्री मुरलीधर मोहोल ने महाराष्ट्र शिक्षा मंडल को शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने पर शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर बिखरी महाराष्ट्र की सांस्कृतिक छटा को देखते हुए कहा कि मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र आज समरूप दिखाई दे रहे हैं। देश के लगभग हर राज्य में मराठी भाषियों ने वहां की स्थानीय भाषा की सेवा और सम्मान किया है। शिक्षण मंडलों की स्थापना कर उसका सुचारू संचालन भी किया है। इसी कड़ी में महाराष्ट्र शिक्षा मंडल का शताब्दी वर्ष में प्रवेश अत्यंत हर्ष का विषय है।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र भौगोलिक रूप से अलग हो सकते हैं लेकिन ये राज्य सांस्कृतिक और सामजिक रूप से आपस में जुड़े हुए हैं। ये दोनों राज्य महादजी सिंधिया, मल्हारराव होलकर और रानी अहिल्याबाई होलकर जैसे व्यकित्व के कारण परंपरागत रूप से और भावनाओं से भी सदैव जुड़े रहे हैं। उन्होंने कहा कि मां नर्मदा ने मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र इन दोनों राज्यों को सुजलाम सुफ़लाम बनाया है। इस अवसर पर मोहोल ने पुणे शहर के बीच स्थित झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के स्मारक को भी याद किया। उन्होंने कहा कि यह स्मारक रानी के पराक्रम का स्मरण कराता है साथ ही यह मध्य प्रदेश की वीरभूमि का स्मरण भी पुणे के लोगों को हमेशा कराता है।
केन्द्रीय मंत्री मोहोल ने नवीन शिक्षा नीति 2020 का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किये गए कार्यों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने में नई शिक्षा नीति की महती आवश्यकता है। यह नवीन शिक्षा नीति का ही परिणाम है कि अब युवा स्थानीय भाषा में परीक्षा उत्तीर्ण कर आईएएस और आईपीएस बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे युवा देश है। भारत के 65 फीसदी लोगों की आयु 35 वर्ष से कम है। मोहोल ने कहा कि पिछले देश वर्षों से भारत ने शिक्षा के क्षेत्र में उत्तरोत्तर प्रगति कर रहा है। पिछले 10 वर्षों में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 310 से बढकर 705 हो गयी है। देश के उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षा के क्षेत्र में वर्ष 2024-25 में 73 हजार 498 करोड़ रुपए की राशि का आवंटन किया गया है।
शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र को ऊँचाइयाँ प्रदान करने वालों में मराठी समाज का नाम सबसे ऊपर : राकेश सिंह
लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि मराठी भाषियों को शिक्षा और साहित्य में रुचि रखने वालों के रूप में पहचाना जाता है, जब भी शिक्षा और साहित्य को ऊंचाइयों पर ले जाने की बात होती है तो सबसे पहले मराठी भाषियों और मराठी समाज का ही जिक्र होता है। उन्होंने महाराष्ट्र शिक्षा मंडल के शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने पर शताब्दी समारोह के आयोजन को मंडल के इतिहास का एक स्वर्णिम दिवस बताया।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र शिक्षण मंडल की सौ वर्षों की यात्रा हजारों विद्यार्थियों के जीवन को संवारने की अनुपम गाथा है। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता की लड़ाई की कल्पना मंडल के संस्थापकों ने शिक्षा की स्वतंत्रता की लड़ाई के रूप में की थी। मातृभाषा में शिक्षा का प्रचार इस महत्वपूर्ण शोध का परिणाम था कि महाराष्ट्र हाई स्कूल का सपना सिर्फ साकार ही नहीं हुआ बल्कि यह आज शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर रहा है।
मंत्री सिंह ने कहा कि देश में अलग-अलग भाषाओं को बोलने वाले लोग रहते हैं लेकिन शिक्षा और साहित्य को शिखर पर ले जाने के लिए सबसे पहले मराठी समाज का नाम लिया जाता है। उन्होंने महाराष्ट्र विद्यालय के भूतपूर्व छात्रों की बात करते हुए अमर शहीद गुलाब सिंह का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि अनेक जनप्रतिनिधियों ने भी यहां के विद्यालय से विद्यार्जन किया है। साथ ही अलग अलग क्षेत्रों में परचम लहराने वाले लोग भी महाराष्ट्र विद्यालय के विद्यार्थी रहे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र शिक्षण मंडल को शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने की शुभ्कामनाएं देते हुए संस्था को ऊचाइयों पर आसीन करने वाली विभूतियों और दिव्य आत्माओं को नमन किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में शिक्षा के क्षेत्र में जब भी जबलपुर का इतिहास लिखा जाएगा महाराष्ट्र शिक्षण मंडल स्वर्णिम अक्षरों में सर्वोच्च स्थान पर दिखाई देगा।
(Udaipur Kiran) तोमर