Madhya Pradesh

भोपाल गैस त्रासदी की 40वीं बरसी पर आयाेजित हाेंगे कई कार्यक्रम, संगठनाें ने शुरू की तैयारी 

गैस हादसे की 40वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी

भाेपाल, 23 नवंबर (Udaipur Kiran) । भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों के बीच काम कर रहे चार संगठनों के सदस्यों ने गैस हादसे की 40वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी शुरु कर दी है। शनिवार काे संगठनाें के नेताओं ने पत्रकार वार्ता कर अपनी याेजनाओं की जानकारी दी। उन्हाेंने बताया कि गैस हादसे की 40वीं वर्षगांठ पर इस बार कई ऐसे व्यक्ति भी शामिल हाेने वाले है, जिन्होंने विनाशकारी गैस रिसाव के शुरुआती घंटों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने बताया कि “इस साल हमने पहले ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भोपाली कलाकारों के साथ गैस काण्ड को याद करना शुरू कर दिया है। जिन्होंने यूनियन कार्बाइड कारखाने की दीवारों पर प्रभावशाली भित्ति चित्र बनाए हैं। आज से 4 दिसंबर तक हम हादसे के हर पहलू पर पोस्टर प्रदर्शनी लगा रहे हैं। हम प्रदर्शनी स्थल पर विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित कर रहे हैं।”

भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के बालकृष्ण नामदेव ने गैस काण्ड की बरसी मनाने की योजनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि“इस हादसे की 40वीं वर्षगांठ पर हम कॉरपोरेट अपराध पर ध्यान केंद्रित करेंगे, कि किसी तरह से इसकी वजह से आज धरती पर जीवन खतरे में पड़ गया है। बरसीं की रैली में औद्योगिक प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक कॉरपोरेट अपराधों और साथ ही यूनियन कार्बाइड और डॉव केमिकल के जारी अपराधों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। भारत और विदेश से कॉरपोरेट अपराध के पीड़ित 40वीं वर्षगांठ रैली में भाग लेंगे।”

संगठनों द्वारा आयोजित आज के कार्यक्रम में बोलते हुए, भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा, “आज हमारे साथ दिसम्बर 1984 के हादसे में प्रमुख भूमिका निभानेवाले कुछ असाधारण व्यक्ति शामिल हैं, जिनमें आपातकालीन वार्ड के सबसे वरिष्ठ चिकित्सक, सबसे अधिक शव परीक्षण करने वाले फोरेंसिक विशेषज्ञ और मुर्दों को दफनाने में भाग लेने वाले लोग शामिल हैं, जो हादसे की सुबह की अपनी यादें सुनाएँगे।”

भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खान ने कहा कि आज की प्रदर्शनी भोपाल हादसे के आंकड़ों और विश्वसनीय आंकड़ों की कमी पर केंद्रित है। जैसा कि हमने यहां प्रस्तुत किया है, यह विडंबना है कि एक ऐसे देश में जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वैज्ञानिक मानव शक्ति होने का दावा करता है, हादसे के हताहतों और स्वास्थ्य प्रभावों जैसे सबसे बुनियादी आंकड़े 40 साल बाद भी अनुपलब्ध हैं।

गाैरतलब है कि वर्ष 1984 में भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड से दो-तीन दिसंबर 1984 की रात को जहरीली गैस मिथाइल आइसो सायनाइड (मिक) का रिसाव हुआ था। इस हादसे में हजारों लोग काल के गाल में समा गए थे। इस विषैली गैस का असर अब भी लोगों पर है। इसके कारण लोग व‍िभ‍िन्‍न बीमार‍ियों से ग्रस‍ित हैं। इस हादसे की याद में हर साल तीन दिसंबर को विभिन्न संगठनों के साथ सरकारी स्तर पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाता है।

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(Udaipur Kiran) / नेहा पांडे

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