बीकानेर, 18 सितंबर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र में ‘ओजोन परत, इसका क्षरण, और जीवों पर प्रभाव (ओजोन लेयर, इट्स डिप्लीशन एण्ड इम्पेक्ट ऑन लिविंग बींगस् ) ’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ। नेशनल एनवॉयरमेंटल साइंस अकादमी (नेसा), नई दिल्ली द्वारा एनआरसीसी सहित अन्य विभिन्न संस्थानों के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस राष्ट्रीय सम्मेलन में देश के विभिन्न प्रान्तों – उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान आदि राज्यों के प्रतिभागियों ने इस आयोजन के माध्यम से अपने अनुसंधान कार्यों को प्रस्तुत किया।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रो.राजेन्द्र पुरोहित, प्राचार्य ने कहा कि ओजोन परत, इसका क्षरण, और जीवों पर इससे पड़ने वाले प्रभाव पर गहन चिंतन व मनन नितांत आवश्यक है तथा ओजोन परत की सुरक्षा को एक नैतिक कार्य के रूप में लिया जाना चाहिए। प्रो.पुरोहित ने पर्यावरण संतुलन के लिए पौधरोपण पर जोर देते हुए कहा कि देश में अनेकानेक औषधीय जड़ी बूटियां व पौधे है जो हमारी धरोहर है, इन पर शोध कार्य किया जाना चाहिए ।
कार्यक्रम संयोजक व केन्द्र निदेशक डॉ. आर.के.सावल, निदेशक, एनआरसीसी,बीकानेर ने कहा कि ओजोन परत के दुष्प्रभाव से बचने के लिए हमें क्लाईमेंट रेसीलियंट उत्पादकता पर काम करना होगा। उन्होंने सतत कृषि उत्पादकता पर जोर देते हुए कहा कि सम्मेलन के माध्यम से विशेषज्ञों द्वारा कृषि, फसलों के उत्पादन, पर्याप्त वर्षों, प्राकृतिक आपदाएं तथा पर्यावरण संतुलन आदि विविध पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श किया गया, सम्मेलन के निष्कर्षों एवं सुझावों के आधार पर ओजोन परत के क्षरण को रोकने एवं आमजन में इसके प्रति जागरूकता लाने की दिशा में यह निश्चित रूप से मददगार साबित हो सकेगा । डॉ.सावल ने ऊंट को एक एनवॉयरमेंट फ्रेंडली पशु मानते हुए इसका पालन समग्र मानवता के हित में किए जाने की बात कही।
इस अवसर पर केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर के निदेशक डॉ.जगदीश राणे ने ओजोन परत के निर्माण, विघटन एवं उसके प्रभावों पर विस्तृत प्रकाश डाला और यह बताया कि अब ऐसे उपकरण उपलब्ध है जिनके माध्यम से हम अपने घरों में लघु रूप से ओजोन का निर्माण कर सकते हैं , जिनका उपयोग चिकित्सीय कार्यों में भी होता है ।
नेशनल एनवॉयरमेंटल साइंस अकादमी (नेसा), नई दिल्ली के प्रतिनिधि व कार्यक्रम विशिष्ट अतिथि डॉ. संदीप कुमार, कृषि वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने नेसा संस्था के उद्देश्य पर प्रकाश डाला तथा इस आयोजन को सार्थक बताया।
समापन कार्यक्रम से पूर्व आमंत्रित विषय विशेषज्ञों द्वारा अपने लीड पेपर प्रस्तुत किए। साथ ही ओजोन परत के प्रबंधन एवं पुनःस्थापन ( रिमेडिएशन) पर गहन विचार किया गया तथा इस आधार पर एक अनुशंसा नोट तैयार किया गया। समापन कार्यक्रम में बेस्ट ऑरल प्रजेंटेशन एवं बेस्ट पोस्टर प्रजेंटेशन के विजेताओं को अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया ।
आयोजन सचिव डॉ.राकेश रंजन, प्रधान वैज्ञानिक, एनआरसीसी ने कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा तैयार की तथा केन्द्र की वैज्ञानिक डॉ.मृणालिनी प्रेरणा द्वारा आयोजन में पधारे सभी गणमान्य जनों, शोधकर्त्ताओं, प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया गया ।
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(Udaipur Kiran) / राजीव