
प्रयागराज, 30 अप्रैल (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो संगीता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में बुधवार को कार्यकारिणी परिषद की 88वीं बैठक, हुई। बैठक में विजिटर के दो नामांकित नवनियुक्त सदस्य बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ से प्रो. दीपा द्विवेदी एवं मधुसूदन लॉ यूनिवर्सिटी राज्य विश्वविद्यालय कटक के कुलपति प्रो. कमलजीत सिंह उपस्थित रहे।
यह जानकारी इविवि की पीआरओ प्रो जया कपूर ने देते हुए बताया कि बैठक में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के 27 मार्च, 2024 के पीएचडी उपाधि प्रदान करने के लिए मानक और प्रक्रिया संबंधी अधिसूचना पर विचार करते हुए, सदन द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय क्रेट फिलहाल आयोजित नहीं किया जाएगा। शोध में प्रवेश के लिए यूजीसी-नेट स्कोर आधार लिया जाएगा। जिन विभागों में नेट योग्यता वाले पर्याप्त उम्मीदवार नहीं आने के कारण अभी भी सीटें खाली रहने वाली शेष सीटों के लिए क्रेट आयोजित किया जाएगा।
उन्होंने आगे बताया कि बैठक में एक प्रोफेसर, 8 एसोसिएट प्रोफेसर, 45 असिस्टेंट प्रोफेसर, 6 गैर शिक्षण कर्मचारियों को 2 वर्ष की परिवीक्षा अवधि सफलतापूर्वक पूरी करने के बाद स्थायी किया गया। कुलसचिव पद के लिए चयन समिति की सिफारिशों के लिफाफे खोले गए और प्रो. आशीष खरे के नाम की सिफारिश को पद के लिए अनुमोदित किया गया। मनोविज्ञान विभाग के लिए सीएएस के तहत पदोन्नति के लिए समिति की सिफारिशें खोली गईं और सदन ने प्रो. चंद्रांशु सिन्हा, प्रो. संदीप आनंद और प्रो. संजय कुमार को एसोसिएट प्रोफेसर से प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति के लिए अनुमोदित किया।
अंग्रेजी विभाग के तत्कालीन विभागाध्यक्ष और विभाग के एक शिक्षक के बीच हुई झड़प के मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया था। उचित विचार-विमर्श और पूछताछ के बाद समिति ने अपनी रिपोर्ट बैठक में प्रस्तुत की। पेनाल्टी ऑफ सेंशियोर की सिफारिश की गई है और सजा की प्रकृति का निर्णय कुलपति द्वारा लिया जाना है। हालांकि, सदन द्वारा अंग्रेजी विभाग के दोनों शिक्षकों के सभी प्रशासनिक जिम्मेदारियों से 5 साल के लिए वापसी की पुरजोर सिफारिश की गई है और किसी भी अतिरिक्त सजा का निर्णय कुलपति को लेने की अनुमति दे दी गई।
बैठक में बताया गया कि पहली बार विश्वविद्यालय विभिन्न स्रोतों जैसे स्व वित्तपोषित पाठ्यक्रमों और बेहतर वित्तीय प्रबंधन से आंतरिक संसाधन सृजन के साथ लाभ में चल रहा है। अंत में कुलसचिव प्रो. आशीष खरे ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
