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मेनारिया समाज की बैठक में कई फैसले : दूल्हा नहीं रखेगा दाढ़ी, प्री-वेडिंग नहीं करेंगे शूट

मेनारिया समाज की उदयपुर में हुई बैठक में शामिल समाजजन

उदयपुर, 2 सितंबर (Udaipur Kiran) । उदयपुर के मेनारिया समाज को शादी करने जा रहे कपल के लिए प्री-वैडिंग शूट के साथ शादी में दूल्हे का दाढ़ी में नजर आना मंजूर नहीं है। रविवार को हुई समाज की एक बैठक में इनके खिलाफ कुछ रोचक फैसले किए गए।

मेनारिया ब्राह्मण समाज के प्रवक्ता कैलाश मेनारिया ने बताया कि उदयपुर के मेनारिया समाज गिर्वा जोन की पहली बैठक ग्राम सभा पानेरियों की मादड़ी गांव के भट्ट तलाई नोहरे के सभा कक्ष में हुई। बैठक में नाै गांवों के प्रतिनिधि पहुंचे। बैठक की अध्यक्षता ग्राम सभा पानेरियों की मादड़ी के अध्यक्ष बद्रीलाल मेनारिया ने की। बैठक में मेनारिया समाज के लगभग 1500 लोग शामिल हुए। इसे दौरान समाज की आर्थिक, शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दिशा और दशा पर चर्चा की गई। बैठक में समाज के पदाधिकारियों ने कहा कि समय के साथ संस्कारहीनता बढ़ती जा रही है। इससे समाज को बचाना जरूरी है। इसके लिए कुछ फैसले लेना जरूरी है। इसके बाद एक प्रस्ताव पास किया गया। जिसे नाै गांवों से आए सभी अध्यक्षों ने सर्व सम्मति से पास किया।

बैठक में फैसला किया गया कि मेनारिया समाज के युवक शादी के दौरान क्लीन शेव रखेंगे। शादी में दाढ़ी रखना फैशन हो सकता है। समाज फैशन से नहीं, संस्कार से चलेगा। परंपरागत तौर पर दूल्हे या तो क्लीन शेव रहते हैं या फिर मूंछ रखते हैं। दाढ़ी रखने की प्रथा समाज में नहीं रही है। हिंदू संस्कृति में दूल्हा क्लीन शेव होकर शादी करने जाता है। दूल्हा शादी करने बैठे तो स्मार्ट बनकर बैठे और तमाम परम्पराएं निभाए। इसलिए समाज के युवा फैशन से प्रभावित होकर शादी में दाढ़ी न रखें। दूसरा फैसला यह किया गया कि समाज का कोई भी लड़का या लड़की प्री-वैडिंग शूट नहीं कराएगा। शादी से पहले जब सगाई होती है तब लड़का-लड़की फोटो शूट के लिए जाते हैं और उस दौरान उन दोनों और फोटोग्राफर के अलावा कोई दूसरा नहीं होता। तब क्या स्थितियां बनती है और क्या नहीं, ऐसे में यह ठीक नहीं है। प्री-वेडिंग शूट कराने के बाद कुछ केस ऐसे सामने आए हैं जिसमें सगाई टूट जाती है। यह पाश्चात्य संस्कृति है। अपनी संस्कृति में तो सगाई हो जाने के बाद भी लड़का-लड़की बात नहीं करते। शादी से पहले लड़का-लड़की का मिलना-जुलना ठीक नहीं है। प्री-वैडिंग शूट के बहाने युवक युवतियां घूमते हैं, शूट के नाम पर अभद्रता होती है और फिर होती है और फिर समाज के सीनियर लोगों को इस तरह के वीडियो से शर्मिंदा होना पड़ता है।

बैठक में मृत्यु के बाद की कुछ रस्मों को भी कुप्रथा करार देकर बंद करने का प्रस्ताव रखा गया जिस पर समाज के सभी लोगों ने सहमति जताई। समाज के पदाधिकारियों ने बैठक में कहा कि किसी का निधन होने के बाद मृत्यभोज बड़े स्तर पर होता है। ऐसे बड़े खर्चीले कार्यक्रम जो आर्थिक रूप से मजबूत है वह तो बढ़िया करता है लेकिन जो आर्थिक रूप से कमजोर है उसके लिए समस्याएं खड़ी हो जाती है। अब समाज ने इस पर प्रतिबंध लगाया है। ​​​​​​

समाज के प्रवक्ता कैलाश मेनारिया ने बताया कि जिनके परिवार में शोक होता है उनके घर महिलाएं सुबह पांच बजे पल्ला लेती है। यानी घूंघट निकालकर बैठ जाती है। परिवार के सदस्य की मौत के 12 दिन तक यह क्रम चलता है। इस दौरान बैठक में किसी के आने पर महिलाएं रोना शुरू कर देती हैं। पल्ला प्रथा में शोकाकुल परिवार की परिवार की महिलाएं शामिल होती हैं। वर्तमान में प्राइवेट नौकरी का युग है, ऐसे में परिवार के जो सदस्य दूर रहते हैं, उनका सुबह 5 बजे प्रथा में शामिल होना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में अब समाज ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। बैठक में पदाधिकारियों ने यह भी फैसला किया कि अगर शादी के बाद लड़की और लड़के के बीच मतभेद होता है तो समाज अपने स्तर पर एक कार्यकारिणी (कमेटी) का गठन करेगा। यह कमेटी दोनों पक्षों से बात करेगी और समाज के अंदर ही सुलह कराने की कोशिश करेगी। मृत्युभोज एक कुप्रथा है, इसे बंद कर दिया जाना चाहिए। यह मौत से दुखी परिवार पर आर्थिक भार डालता है। समाज के लोग दबाव में कर्ज लेकर इस प्रथा को निभाते हैं। इसलिए इस प्रथा का पालन जरूरी नहीं समझा जाता। बुजुर्ग की मौत के बाद परिवार के सीनियर व्यक्ति के सिर पर पगड़ी बांधी जाती है। बारहवें के दूसरे दिन पगड़ी की रस्म निभाई जाती है। इसमें बहन-बेटियों और मिलने वाले को बर्तन बांटते हैं। इसमें भी बहुत खर्चा होता है। इसे लेकर भी समाज के पदाधिकारियों ने एतराज जताते हुए इस रस्म को बंद करने का फैसला किया। कहा कि यह भी अनावश्यक आर्थिक भार बढ़ाने वाली रस्म है, समाज में इसकी आवश्यकता नहीं है।

साथ ही यह फैसला भी किया कि अगर समाज का कोई लड़का या लड़की शादी के बाद कम समय में अपने पार्टनर को खो देता है या फिर उसकी मौत हो जाती है तो ऐसी स्थिति में समाज में ही उसके पुनर्विवाह का प्रयास किया जाएगा। बैठक में मुख्य अतिथि अखिल भारतीय मेनारिया समाज के अध्यक्ष जसराज मेहता, विशिष्ट अतिथि ग्राम सभा के संरक्षक जगदीश मेनारिया, अखिल भारतीय मेनारिया समाज के पूर्व अध्यक्ष ललित मेनारिया, निर्माण समिति के अध्यक्ष अम्बालाल मेनारिया थे। साथ ही उदयपुर के गिर्वा मंडल के नाै गांव (पानेरियों की मादड़ी, उदयपुर शहर, चीरवा, विकरणी, जोलावास, भुवाणा, बेदला, कानपुर, खेड़ा) के अध्यक्ष एवं प्रतिनिधि सहित कुल 1500 लोग मौजूद थे।

प्रवक्ता कैलाश मेनारिया ने बताया कि बैठक में युवाओं में भारतीय सनातन संस्कारों की स्थापना तथा वर्तमान समय में समाज में सामने आ रही बुराइयों पर चर्चा की गई और उन्हें समाज से खत्म करने पर विचार कर फैसला किया गया। कुछ विषयों पर चर्चा कर ली गई है, इसके अलावा बाकी बचे मुद्दों पर आगामी बैठक जो चीरवा गांव में होनी है, वहां फैसला किया जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / रोहित

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