
पांडुलिपि संरक्षण पर आधारित 05 दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन
वाराणसी,24 मार्च (Udaipur Kiran) । सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में सोमवार से पांच दिवसीय मेटाडेटा निर्माण और पांडुलिपि संरक्षण कार्यशाला की शुरुआत हुई। विश्वविद्यालय एवं ज्ञान भारतम( राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन,संस्कृति मंत्रालय) नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में परिसर स्थित योग साधना केन्द्र में आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने किया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. शर्मा ने कहा कि योजकस्तत्र दुर्लभः का अर्थ है कि जो दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण में लगे हुए हैं, वे वास्तव में एक महान कार्य कर रहे हैं। यह कार्य न केवल भारतीय संस्कृति और ज्ञान के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मां भारती के प्रति समर्पित पूजा करने जैसा भी है। कुलपति प्रो.शर्मा ने बताया कि सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण का कार्य किया जा रहा है, जिसमें लगभग 96 हजार पांडुलिपियों का संरक्षण किया जा रहा है। यह कार्य न केवल भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह विश्व के लिए भी एक महत्वपूर्ण कार्य है। उन्होंने बताया कि इस कार्य में लगभग 60 हजार फोलियो के कार्य किये जा चुके हैं, किन्तु इस कार्य को तिगुनी गति से करने की जरूरत है। इसके लिए 50 आदमी और बढ़ाकर कार्य की गति बढ़ाकर संरक्षण किया जाए, आज भारत सरकार ने वित्तीय सहायता की है।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव राकेश कुमार ने बताया कि दुर्लभ पांडुलिपियों का संरक्षण दुर्लभ कार्य है। इसे संरक्षित करने के लिए समर्पण भाव जरूरी है। इसमें भारतीय संस्कृति एवं परंपरा का सम्पूर्ण भाव निहित है। अनेक आक्रमण होने के बावजूद भी हमारे ज्ञान इन पांडुलिपियों में संरक्षित हैं।आज इन पांडुलिपियों को डिजिटल तकनीक के माध्यम से ज़न सुलभ बनाये जाने की जरूरत है,साथ ही शोध कार्य करने से व्यापकता में वृद्धि होगी। कार्यशाला में राष्ट्रीय सांस्कृतिक सम्पदा संरक्षण अनुसंधान शाला (लखनऊ) के पूर्व वरिष्ठ संरक्षक डॉ. प्रमोद कुमार पाण्डेय ने कार्यशाला में पांडुलिपि को संरक्षित करने के लिए विभिन्न विकृतियों के बारे में जानकारी दी। इसे कैसे दूर किया जाए तथा प्राचीन विधियों का प्रयोग (लौंग कपूर के मिश्रण से) कर संरक्षित किये जाने पर विचार दिया। इसके पहले पुस्तकालयाध्यक्ष प्रो. राजनाथ ने अतिथियों को पुष्प गुच्छ एवं अंग वस्त्र ओढ़ाकर स्वागत और अभिनंदन किया। कार्यक्रम की संयोजक डॉ. विभा पाण्डेय ने सभी विषयों को विस्तार से बताया । धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शिशिर ने किया।
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
