Madhya Pradesh

मन्दसौर: सांसरिक मोह जीवन की सबसे बडी समस्या : स्वामी सरस्वती

सांसरिक मोह जीवन की सबसे बडी समस्या हैं  - स्वामी सरस्वती

मन्दसौर, 25 जुलाई (Udaipur Kiran) । श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा मंदसौर पर दिव्य चातुर्मास पूज्यपाद 1008 स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती ऋषिकेष के सानिध्य में प्रारंभ हो चुका है। स्वामी जी द्वारा प्रतिदिन प्रातरू 8.30 से 10 बजे तक श्रीमद् भागवद् महापुराण के एकादश स्कन्द का का वाचन किया जा रहा है।

गुरूवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए स्वामी श्री आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती ने बताया कि सर्वश्रेष्‍ठ्ठ भक्त वह जिसके अंदर काम बीज न हो। जिसने अपनी कामनाओं पर काबू पा लिया और पूरी तरह से अपने आप को परमात्मा को समर्पित कर दिया वह सर्वश्रेष्‍ठ भक्त है। कामबीज वाला व्यक्ति कभी मोह, लोभ और काम से दूर नहीं हो सकता वह कितना भी प्रयास कर लें सांसारिक मोह से त्याग नहीं ले पाता है।

उन्‍होंने बताया कि एक बार एक व्यक्ति एक महात्मा के पास आया जिसका परिवार एक हादसे में खत्म हो चुका था उसने संत महात्मा से सन्यासी होने का आग्रह कर दीक्षा देने को कहा तब महात्मा ने कहा इतनी जल्दी क्या थोडा समय सन्यासी जीवन में बिताओं वह राजी हो गया एक बार एक विदेश से कुछ लोग हिमालय को घुमने आयें और महात्मा ने उन लोगों को उसे घुमाने को कहा तब उस व्यक्ति ने उन्हें वहां के क्षेत्रों में घुमाया और एक लडकी के साथ भाग गया। संतश्री ने कहा कि कहने का तात्पर्य यह हैं कि जब तक आपके अंदर कामना है तब तक आप अपने आप को प्रभु को समर्पित नहीं कर पाओगे। इसलिए सांसारिक मोह को त्याग कर कामनाओ को खत्म कर ही आप परमात्मा को स्वयं को समर्पित कर पाओेगे। इसलिए कहा गया है कि काम, मोह, माया को त्याग कर स्वयं को प्रभु भक्ति में लगाओं।

(Udaipur Kiran) / अशोक झलोया / राजू विश्वकर्मा

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