Madhya Pradesh

मंदसौरः पर्यूषण महापर्व पर हो रही धर्म आराधनाएं, प्रभुजी की प्रतिमाओं की हो रही आर्कषक अंगरचना

पर्यूषण महापर्व पर हो रही है धर्म आराधनाएं, प्रभुजी की प्रतिमाओं की हो रही आर्कषक अंगरचना

मन्दसौर,2 सितंबर (Udaipur Kiran) । पर्युषण महापर्व में प्रतिदिन प्रात: 11.30 बजे से आराधना भवन मंदिर नईआबादी में स्थापित प्रभु पार्श्वनाथजी व अन्य देव देवियों की प्रतिमाओं की आकर्षक अंग रचना की जा रही है अर्थात प्रभु प्रतिमाओं की आंगी की जा रही है। आंगी रचना को देखने पूरे मंदसौर के धमार्लुजन आ रहे है। वहीं नगर के जनुकूपूरा स्थित श्री अजीतनाथ जैन मंदिर में पर्यूष्ण महापर्व के अवसर पर भगवान की विशेष अंगरचना की गई। प्रतिदिन प्रभु जी की सुंदर आंगी प्रकाश चपरोत, अंकुश सगरावत , हेमंत सगरावत मंगलम डोसी, धवल जैन द्बारा बनाई जा रही है।

सोमवार को धर्मसभा में योगरूचि विजयजी मसा ने कहा कि बच्चों को धर्म, ज्ञान, दर्शन, चरित्र के संस्कार देना अति आवश्यक है, यदि बच्चों में संस्कार नहीं है तो आपने जो धन कमाया है वह किसी काम का नहीं है। यदि बच्चे संस्कारित होगे तो वे युवावस्था में अपनी योग्यता के बल पर स्वयं ही सफलता प्राप्त कर लेंगे लेकिन यदि उनमें धर्म एवं नैतिक मूल्यों के संस्कार नहीं होंगे तो वे आपका कमाया धन भी गवा देंगे। इसलिये बच्चों को संस्कारित करने पर सबसे अधिक ध्यान दो।

पर्युषण पर्व आत्म जागृति का पर्व- साध्वी श्री रमणीककुंवरजी

पर्वाधिराज पर्युषण पर्व दूसरे पर्वों से भिन्न है। पर्युषण पर्व हमे तप, तपस्या, धर्म, आराधना कर अपना आत्मकल्याण करने की प्रेरणा देते है। पर्युषण पर्व आत्म जागृति का पर्व है और वे आत्मा में काम, क्रोध, लोभ, मोह माया की जो कालिख जमी है उसे हटाने में समर्थ है। हम पर्युषण पर्व में अपनी आत्मा के उत्थान पर ध्यान दे तभी पर्युषण पर्व मनाना सार्थक होगा।

उक्त उद्गार प.पू. साध्वी श्री रमणीककुंवरजी म.सा. ने जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन शास्त्री कॉलोनी नईआबादी में आयोजित धर्मसभा में कहे। आपने पर्युषण पर्व के द्वितीय दिवस सोमवार को धर्मसभा में कहा कि प्रभु महावीर ने भी पर्युषण पर्व की धर्म आराधना की थी। हम भी उनसे प्रेरणा ले तथा पयुर्षण पर्व के उत्कृष्ट धर्म आराधना करे ये पयुर्षण पर्व आत्म कल्याण का अवसर दे रहे है। इसलिये पर्युषण पर्व में धर्म में पुरुषार्थ करो क्योंकि धर्म मे पुरुषार्थ किये बगैर आत्मा का कल्याण संभव नहीं है।

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(Udaipur Kiran) / अशोक झलोया

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