देहरादून, 13 जुलाई (Udaipur Kiran) । विकास प्राधिकरण क्षेत्रांतर्गत किसी भी प्रकार के विकास के लिए मानचित्र स्वीकृत कराना अनिवार्य हो सकता है। मानचित्र स्वीकृति की प्रक्रिया को सुगम बनाये जाने पर सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है।
आवास व शहरी विकास मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग व राजकीय राजमार्ग तथा समस्त स्थानीय निकायों के मार्गों के दोनों किनारों से दोनों ओर पर्वतीय क्षेत्रों में 50 मीटर एवं मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी तक सभी प्रकार के निर्माणों के मानचित्रों की स्वीकृति अनिवार्य किये जाने पर सरकार विचार कर रही है। ऐसे मानचित्रों की स्वीकृति उपाध्यक्ष स्तर पर की जाएगी।
उन्होंने बताया कि ऐसे एकल आवासीय निर्माण, जिनका भूखंड क्षेत्रफल 250 वर्ग मीटर तक हो तथा अधिकतम ऊंचाई 9 मीटर तक हो, मानचित्र स्वीकृत स्वप्रमाणन अथवा शपथ पत्र के द्वारा किये जाने पर विचार किया जा रहा है। इसी तरह समस्त गैर एकल आवसीय निर्माण जिनका भूखंड क्षेत्रफल 50 वर्ग मीटर तक एवं ऊंचाई 6 मीटर तक हो, मानचित्र स्वीकृत स्वप्रमाणन अथवा शपथ पत्र के द्वारा करने पर विचार हो रहा है।
मंत्री ने बताया कि एमडीआर, ओडीआर मार्ग जो संबंधित जिलाधिकारी एवं उपाध्यक्ष तथा शासन के प्रशासनिक विभाग द्वारा समय-समय पर मानचित्र स्वीकृति के लिए नियत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 के पूर्व के प्राधिकरण क्षेत्रों एवं विनियमित क्षेत्रों को छोड़कर नये सम्मिलित क्षेत्रों में प्राधिकरण को प्राप्त होने पर शुल्क, उप विभाजन शुल्क, विकास शुल्क पर्यवेक्षण शुल्क पर वर्तमान दरों के सापेक्ष 50 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाएगी।
मंत्री प्रेमचंद ने बताया कि इसमें देय लेबर सेस प्राधिकरण द्वारा नहीं लिया जायेगा। इसके विपरीत आवेदक द्वारा सीधे श्रम विभाग में जमा किया जाएगा तथा इसकी सूचना प्राधिकरण को दी जाएगी।
(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण / वीरेन्द्र सिंह