West Bengal

चाय की खेती पर कोई समझौता नहीं, पर्यटन को मंजूरी देने पर ममता बनर्जी का आश्वासन

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी

कोलकाता, 25 फरवरी (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि राज्य सरकार पर्यटन से जुड़े प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के दौरान चाय की खेती से कोई समझौता नहीं करेगी।

राज्य सचिवालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले ही यह तय कर दिया था कि पर्यटन परियोजनाओं के लिए केवल उसी भूमि का उपयोग किया जाएगा, जहां चाय की खेती नहीं होती है।

उन्होंने कहा कि चाय की खेती के लिए जमीन पट्टे पर दी जाती है, यह मुक्त स्वामित्व वाली भूमि नहीं होती। हमने चाय बागानों की अधिकतम 15 प्रतिशत भूमि पर पर्यटन संबंधी गतिविधियों की अनुमति दी थी, जैसे होटल और होमस्टे, लेकिन यह केवल उन्हीं जगहों पर होगा, जहां चाय नहीं उगाई जाती।

ममता बनर्जी ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे व्यावसायिक उपक्रमों में 80 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय लोगों को मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार चाय की खेती को लेकर कोई समझौता नहीं करेगी। यह हमारा स्पष्ट रुख है। जहां चाय की खेती नहीं होती, वहीं पर्यटन से जुड़े अन्य व्यावसायिक कार्य किए जा सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यदि किसी चाय बागान मालिक को 15 प्रतिशत से अधिक भूमि पर्यटन उद्देश्यों के लिए चाहिए, तो सरकार हर मामले की अलग-अलग समीक्षा करेगी, लेकिन तभी जब श्रमिकों के भविष्य निधि, ग्रेच्युटी या वेतन से जुड़ी कोई बकाया राशि न हो।

उन्होंने कहा कि अगर बागान मालिक 15 प्रतिशत से अधिक जमीन के उपयोग की अनुमति मांगते हैं, तो सरकार परिस्थितियों के आधार पर निर्णय लेगी।

बनर्जी ने यह भी आश्वासन दिया कि चाय बागानों में काम करने वाले श्रमिकों को किसी भी हाल में परेशान नहीं किया जाएगा और आदिवासी भूमि उनके वास्तविक मालिकों के पास ही रहेगी।

इसके अलावा, सरकार ने छह बंद पड़े चाय बागानों को तीन साल की लीज पर देने का निर्णय लिया है, जिससे बागान मालिक दोबारा काम शुरू कर सकें और श्रमिकों को वेतन दिया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर ये बागान सुचारू रूप से चलते हैं, तो लीज की अवधि 30 साल तक बढ़ा दी जाएगी।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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