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मालेगांव बम विस्फोट मामलाः विशेष जज के स्थानांतरण पर निर्णय 31 अगस्त तक स्थगित

मुंबई, 17 अप्रैल (हि.सं.)। साल 2008 के मालेगांव बम विस्फोट से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही विशेष एनआईए अदालत के अतिरिक्त न्यायाधीश ए.के. लाहोटी को नासिक स्थानांतरित करने का निर्णय 31 अगस्त तक स्थगित कर दिया गया है। इस महीने की शुरुआत में जारी एक अधिसूचना के अनुसार अतिरिक्त न्यायाधीश लाहोटी को नासिक की अदालत में तैनात किया गया था और स्थानांतरण आदेश ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद 9 जून को अदालतों के फिर से शुरू होने के बाद प्रभावी होना था।

बांबे हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने नई अधिसूचना जारी कर लाहोटी के तबादले पर 31 अगस्त तक रोक लगा दी है। मामला अपने अंतिम चरण में है और विशेष अदालत आने वाले दिनों में इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख सकती है। बम विस्फोट में मारे गए लोगों के परिवारों ने आशंका व्यक्त की थी कि लाहोटी के स्थानांतरण से न्याय मिलने में देरी होगी। यह मामला पिछले 17 वर्षों से चल रहा है और अतिरिक्त न्यायाधीश लाहोटी अब तक स्थानांतरित होने वाले पांचवें न्यायाधीश हैं। मामला अपने अंतिम चरण में है और अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लाहोटी ने मामले की लगभग पूरी कार्यवाही देखी है और दलीलें सुनी हैं। सरकार और बचाव पक्ष इस मामले में अब तक प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर अंतिम तर्क दे रहे हैं। इसलिए, इस स्तर पर मामले को देख रहे न्यायाधीशों को फिलहाल स्थानांतरित नहीं किया जाना चाहिए। पीड़ितों ने ही कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर निर्धारित स्थानांतरण की तिथि बढ़ाने का अनुरोध किया था। न्यायाधीश लाहोटी ने न केवल 148 गवाहों के साक्ष्य दर्ज किए हैं, बल्कि 313 बयान भी तैयार किए हैं। यदि न्यायाधीश लाहोटी का स्थानांतरण होता है तो नए न्यायाधीशों को मामले के बारे में पूरी जानकारी देनी होगी। पीड़ितों ने पत्र में आशंका जताई है कि मुकदमे में देरी हो सकती है।

29 सितंबर 2008 को मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में विस्फोट हुआ था। इस घटना में छह लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हो गए थे। मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी पर लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर के साथ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने समीर कुलकर्णी के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

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(Udaipur Kiran) / वी कुमार

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