
जयपुर, 23 मई (Udaipur Kiran) । ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की सोमवती अमावस्या पर 26 मई को शनि जयंती मनाई जाएगी। छोटीकाशी के सभी शनि मंदिरों में शनि महाराज का पंचामृत से अभिषेक कर विशेष पूजन किया जाएगा। एमआई रोड स्थित शनिधाम में होने वाले शनि जन्मोत्सव के पोस्टर का विमोचन सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा ने किया।
मंदिर महंत मगन गौड़ ने बताया कि सुबह पांच से सवा छह बजे तक शनि महाराज का पंचामृत और तेलाभिषेक किया जाएगा। शाम सवा सात बजे महाआरती के बाद भजन संध्या होगी। इस मौके पर फूल बंगला और बर्फानी झांकी आकर्षण का केन्द्र रहेगी। उल्लेखनीय है कि हिंदू धर्म में शनि जयंती के पर्व का विशेष महत्व होता है। पंचांग के अनुसार हर वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ’येष्ठ अमावस्या तिथि पर न्यायप्रिय, कर्मफलदाता, सूर्यदेव और छाया के पुत्र शनिदेव का जन्म हुआ था।
इस बार शनि जयंती पर कई तरह के शुभ योगों का निर्माण होने जा रहा है, जिस कारण से इसका महत्व बढ़ गया है। शनि जयंती के दिन शनिदेव से संबंधित चीजों का दान करने का विशेष महत्व होता है। शनि जयंती के अवसर कुछ राशि वालों पर शनिदेव की विशेष कृपा हो सकती है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि जयंती पर शनिदेव देवगुरु बृहस्पति की राशि मीन में विराजमान रहेंगे। वही इस दिन सूर्य-बुध की युति वृषभ राशि में बनने से बुधादित्य योग बनेगा। सुख और वैभव के कारक ग्रह शुक्र उच्च राशि मीन में होंगे, जिस वजह से मालव्य राजयोग का निर्माण होगा। इसके अलावा शनि जयंती पर सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ त्रिपुष्कर राजयोग का निर्माण होगा।
ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और जिसका समापन 27 मई को सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर खत्म हो जाएगा। उदया तिथि के अनुसार शनि जयंती 27 मई को भी शनि जयंती मनाई जाएगी। शनि जयंती पर मेष, वृषभ, तुला, वृश्चिक, मकर और कुंभ राशि वालों पर शनिदेव की विशेष कृपा बरसेगी। नौकरी-व्यापार में अच्छी सफलता और लाभ शनिदेव दिलाएंगे। मान-सम्मान में वृद्धि होगी। किस्मत का भरपूर साथ मिलेगा जिससे कोई भी का रुकेंगे नहीं। सुख-सुविधाओं में विशेष लाभ की प्राप्ति होगी। संतान की तरफ से कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। विदेश के मामलों में आपको लाभ मिल सकता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा के अनुसार ज्येष्ठ मास वर्ष का सबसे महत्वपूर्ण माह माना जाता है। इस दिन भूमि से जुड़े दोषों की निवृत्ति के लिए वैदिक उपचार किए जाते हैं। 29 मार्च को शनि ग्रह कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश कर चुका है। इसका प्रभाव विभिन्न राशियों पर पड़ रहा है। जिन लोगों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या, महादशा या अंतर्दशा चल रही है, उनके लिए यह समय महत्वपूर्ण है। अनुकूलता प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं। इनमें शनि स्तोत्र, शनि स्तवराज, शनि अष्टक, शनि चालीसा, शनि वज्र पिंजर कवच और महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ शामिल है। साथ ही शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करना भी लाभदायक माना गया है। जन्म कुंडली में यदि शनि की स्थिति निम्न राशि में है, या शनि पापाक्रांत है, तो इन उपायों से विशेष लाभ मिल सकता है। इससे जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और अनुकूल परिस्थितियां बनती हैं।
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(Udaipur Kiran)
