ग्वालियर, 4 नवंबर (Udaipur Kiran) । सकारात्मक सोच के साथ विभागीय योजनाओं के लक्ष्य हासिल करने के प्रयास करें। लक्ष्य छोटे-छोटे और निगरानी आधारित हों, जिससे सरकार की योजनायें गुणवत्ता के साथ मूर्तरूप लें और किसानों की आय बढ़े। यह बात कृषि उत्पादन आयुक्त मोहम्मद सुलेमान ने सोमवार को मौजूदा खरीफ उत्पादन की समीक्षा एवं रबी कार्यक्रम निर्धारण के लिए आयोजित हुई संभागीय बैठक में कही। उन्होंने कहा कि कृषि एवं उससे जुड़े विभागों में ऐसे नवाचार करें, जिससे किसानों के लिये खेती हर तरह से लाभकारी बने।
कृषि उत्पादन आयुक्त सुलेमान ने ग्वालियर-चंबल संभाग के जिला कलेक्टर और विभागीय अधिकारियों से कहा कि हमारे प्रयास ऐसे हों, जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान कृषि यंत्रीकरण, उद्यानिकी, पशुपालन, मुर्गी पालन, सहकारिता एवं मत्स्य पालन योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी आय बढ़ा सकें। साथ ही कहा कि किसानों को उन्नत खेती के लिये प्रोत्साहित करें, जिससे उनकी आमदनी दुगुनी हो।
यहाँ संभाग आयुक्त कार्यालय में हुई बैठक में अपर मुख्य सचिव सहकारिता अशोक वर्णवाल, प्रमुख सचिव उद्यानिकी अनुपम राजन, प्रमुख सचिव मछुआ कल्याण डी पी आहूजा, प्रमुख सचिव पशुपालन एवं डेयरी डॉ. ई. रमेश कुमार, किसान कल्याण एवं कृषि विभाग के सचिव एम शैलवेन्द्रम, संभाग आयुक्त मनोज खत्री, संचालक उद्यानिकी शशिभूषण सिंह, प्रबंध निदेशक विपणन संघ आलोक सिंह तथा कृषि से जुड़े अन्य विभागों के संचालकगण तथा कलेक्टर ग्वालियर रुचिका चौहान सहित ग्वालियर-चंबल संभाग के विभिन्न जिलों के कलेक्टर व जिला पंचायत के सीईओ सहित कृषि, उद्यानिकी, सहकारिता, पशुपालन, मत्स्य पालन, डेयरी तथा अन्य संबंधित विभागों के संभाग व जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद थे।
कृषि उत्पादन आयुक्त सुलेमान ने कहा कि खाद की कोई कमी नहीं है, वितरण व्यवस्था को बेहतर बनाने की जरूरत है। साथ ही मॉनीटरिंग की पुख्ता व्यवस्था हो, जिससे मानक खाद ही बाजार में पहुँचे। उन्होंने कहा कि कृषि विशेषज्ञों के माध्यम से किसानों को समझाएं कि अच्छे उत्पादन के लिये फसलों को किन-किन पोषक तत्वों की जरूरत होती है और किस खाद में कौन-कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिससे वे किसी एक ही खाद का उपयोग न करें।
नरवाई जलाने की प्रवृत्ति को रोकने के लिये विशेष प्रयास हों
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में हुए शोधों से यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि नरवाई (पराली) जलाने से पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और खेती की उत्पादन क्षमता घट जाती है। साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान पहुँचता है। उन्होंने कहा कि सुपर सीडर व हैप्पी सीडर यंत्रों के माध्यम से नरवाई का आसानी से प्रबंधन किया जा सकता है। सरकार द्वारा इन दोनों यंत्रों को क्रय करने पर बड़ा अनुदान दिया जाता है। एक से दो साल के भीतर इसकी लागत निकल आती है। उन्होंने व्यापक स्तर पर जन जागरण कार्यक्रम चलाकर नरवाई प्रबंधन को सामाजिक आंदोलन बनाने की बात कही।
कृषि यंत्रीकरण के प्रति उदासीन कृषि अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें
कस्टम हायर सेंटर, सुपर सीडर व हैप्पी सीडर, सोइल टेस्टिंग कार्य तथा अन्य कृषि यंत्रीकरण योजनाओं का लाभ ज्यादा से ज्यादा किसानों को दिलाने पर कृषि उत्पादन आयुक्त सुलेमान ने विशेष जोर दिया। उन्होंने निर्देश दिए कि जिन जिलों के कृषि विभाग के उप संचालक कृषि यंत्रीकरण योजनाओं को बढ़ावा देने में रुचि नहीं ले रहे हैं, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर लघु शास्ति से दण्डित करें। कृषि उत्पादन आयुक्त ने दोनों संभागों के उप संचालक कृषि को संभागीय कृषि अभियांत्रिकी कार्यालय में 15 दिन का प्रशिक्षण दिलाने के निर्देश भी दिए। इस अवसर पर कृषि सचिव एम शैलवेन्द्रम ने विभागीय योजनाओं के बारे में विस्तारपूर्वक प्रजेंटेशन दिया। उन्होंने बताया कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को खेतों की मिट्टी परीक्षण की सुविधा दिलाने के लिये अब विकासखंड स्तर पर युवा उद्यमियों की मदद से सोइल टेस्टिंग सेंटर शुरू किए जा रहे हैं।
कॉपरेटिव बैंकों को करें मजबूत और अच्छा काम न करने वाले कर्मचारियों को नौकरी से हटाएं
कृषि उत्पादन आयुक्त मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि किसानों की उन्नति के लिए सहकारी बैंकों का मजबूत होना जरूरी है। इसलिए सभी जिला कलेक्टर अपने-अपने जिलों के कॉपरेटिव बैंक के बिजनेस को बढ़ाकर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त करें। उन्होंने सहकारी बैंकों की वर्तमान स्थिति पर नाराजगी जताई। साथ ही निर्देश दिए कि कॉपरेटिव बैंक की जिन शाखाओं में वसूली एवं ऋण वितरण व डिपोजिट का काम अच्छा नहीं है वहाँ के कर्मचारियों की सेवायें समाप्त करने की विधिवत कार्रवाई की जाए। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा हर जिले के समस्त गांव प्राथमिक सहकारी समितियों के दायरे में होना चाहिए। उन्होंने सभी जिला कलेक्टर को निर्देश दिए कि जिन गाँवों में प्राथमिक सहकारी समिति नहीं है वहाँ क्षेत्रीय जरूरत के मुताबिक सहकारी समितियों का गठन कराएं। उन्होंने एक माह के भीतर सभी जिलों में सहकारी समितियों का ऑडिट कराने के निर्देश भी बैठक में दिए। साथ ही कहा कि सहकारी समितियों की मजबूती के लिये शासकीय योजनाओं का डिपोजिट भी कराएं।
सहकारी समितियों को मिलेगा पेट्रोल पम्प व गैस एजेंसियों के संचालन का काम
अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव सहकारिता अशोक कुमार वर्णवाल ने बैठक में जानकारी दी कि सरकार ने प्राथमिक सहकारी समितियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए शासन ने प्रभावी पहल की है। जिसके तहत सहकारी समितियों को पेट्रोल पम्प, गैस एजेंसी, जन औषधि केन्द्र, भण्डारण का कार्य कृषि उपज का विपणन, बिजनेस कलेक्शन इत्यादि आर्थिक गतिविधियों के संचालन की जिम्मेदारी दी जायेगी। उन्होंने सभी जिला कलेक्टर से अपने-अपने जिलों में स्थानीय परिस्थिति के अनुसार प्राथमिक सहकारी समितियों से इन आर्थिक गतिविधियों के लिये पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कराने के लिये कहा।
कुछ गाँवों को चिन्हित कर उद्यानिकी के मॉडल बनाएँ
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने में उद्यानिकी फसलें सबसे बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। उद्यानिकी फसल लगाने में पहली साल खर्चा जरूर आता है, लेकिन आगे चलकर ये फसलें किसानों के लिये बड़ी फायदेमंद साबित होती हैं। इसके लिये सरकार अनुदान भी देती है। इसलिए अधिक से अधिक किसानों को उद्यानिकी फसलों से जोड़ें। उन्होंने हर जिले में कुछ गाँवों को चिन्हित कर उद्यानिकी मॉडल के रूप में स्थापित करने के निर्देश दिए, जिससे अन्य गाँवों के किसान इससे प्रेरणा लेकर उद्यानिकी अपना सके। उन्होंने संभागीय कमिश्नर से कहा कि इस विषय को अपनी मॉनीटरिंग में शामिल करें।
प्रमुख सचिव अनुपन राजन ने बताया कि ग्वालियर-चंबल संभाग ने उद्यानिकी का रकबा व उत्पादन बढ़ाने की बड़ी संभावनायें हैं। सरकार उद्यानिकी फसलें लगाने से लेकर सूक्ष्म सिंचाई पद्धति (ड्रिप व स्प्रिंकलर), पॉली व नेट हाउस एवं भण्डारण के लिये अनुदान देती है। उन्होंने कहा कि किसानों को ड्रेगन फ्रूट, फल, फूल व सब्जियाँ लगाने के लिये प्रोत्साहित किया जाए।
ऑर्गेनाईज्ड दुग्ध संग्रहण को बढ़ावा देने पर जोर
कृषि उत्पादन आयुक्त सुलेमान ने ग्वालियर-चंबल संभाग के सभी जिलों में संगठित अर्थात दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से दुग्ध संग्रहण को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि इससे दूध एवं दूध से बने पदार्थों में मिलावट पर भी प्रभावी अंकुश लगेगा। वर्तमान में ग्वालियर-चंबल संभाग में ऑर्गेनाईज्ड (संगठित) रूप से मात्र 28 प्रतिशत दूध का संग्रहण होता है, जबकि लगभग 72 प्रतिशत दूध असंगठित रूप से बिक रहा है।
नियमित रूप से हो पशुओं का टीकाकरण
सुलेमान ने पशुओं के टीकाकरण की निगरानी पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत पशुओं को सभी टीके लगने चाहिए। उन्होंने पशु चिकित्सा चलित इकाईयों के बारे में भी सभी कलेक्टर से जानकारी ली। दोनों संभागों के कलेक्टर ने बताया कि पशुओं के उपचार में पशु चिकित्सा चलित इकाईयां महती भूमिका निभा रही हैं। इनके द्वारा लिया जा रहा शुल्क पशु कल्याण समिति में जमा होता है।
बैठक में पशुपालन, मुर्गी पालन व मत्स्य पालन, एमपी एग्रो व बीज संघ से संबंधित योजनाओं की विस्तार से समीक्षा की गई। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि मत्स्य पालन बहुत ही फायदेमंद व्यवसाय है। इसलिए अधिक से अधिक किसानों को इससे जोड़ें। सरकार द्वारा मत्स्य पालन विभाग के माध्यम से विभिन्न योजनाओं के तहत अनुदान भी दिया जाता है।
हितग्राहियों ने अपनी जुबानी बताई सफलता की दास्तां
सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर आत्मनिर्भर हुए हितग्राहियों ने इस अवसर पर अपनी सफलता की दास्तां सुनाईं। ग्वालियर जिले के कृषक प्राण सिंह ने जैविक खेती, मत्स्य पालन, उद्यानिकी, पशुपालन के क्षेत्र में हासिल की गईं उपलब्धियाँ बताईं। इसी तरह मशरूम से विभिन्न प्रकार के औषधीय पेय तैयार कर रहे गोस्वामी तथा श्रद्धा खरे, डबरा के मत्स्य पालक कृषक श्री गुलाम अली व श्योपुर जिले की राधा एसएसजी से जुड़ीं कलिया कुशवाह ने भी अपनी सफलता की दास्तां सुनाईं।
(Udaipur Kiran) तोमर