Uttar Pradesh

महाशिवरात्रि: नागा साधुओं एवं महात्माओं के दल ने काशी विश्वनाथ के रजत विग्रह पर हल्दी लगाई

हल्दी के रस्म के बाद बाबा विश्वनाथ का रजत विग्रह
हल्दी के रस्म के बाद बाबा विश्वनाथ का रजत विग्रह

– मंदिर के पूर्व महंत के टेढ़ीनीम स्थित आवास गौरी सदनिका में जुटे श्रद्धालु, महिलाओं ने हल्दी की रस्म की पूरी

वाराणसी, 24 फरवरी (Udaipur Kiran) । महाशिवरात्रि के पूर्व काशी नगरी में महादेव के विवाहोत्सव का लोकाचार परम्परा सोमवार शाम से शुरू हो गई है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत स्व. कुलपति तिवारी के टेढ़ीनीम स्थित आवास पर महादेव के रजत विग्रह को नागा साधुओं और महात्माओं के दल ने हल्दी समर्पित की। इस दौरान महंत के आवास गौरी सदनिका में ‘पहिरे ला मुंडन क माला मगर दुल्हा लजाला..’, ‘दुल्हा के देहीं से भस्मी छोड़ावा सखी हरदी लगावा ना…’, ‘शिव दुल्हा के माथे पर सोहे चनरमा…।’ पारम्परिक गीतों की गूंज रही। इस बार महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ से जुड़ी लोकपरंपरा का निर्वाह श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा के नागा साधुओं एवं महात्माओं की ओर से किया गया है। श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा की ओर से बाबा के लिए हल्दी महाराणा प्रताप की धरती मेवाड़ से मंगाई गई।

अखाड़ा के उदयपुर शाखा के प्रभारी संत दिगंबर खुशहाल भारती के नेतृत्व में नागा साधुओं एवं संन्यासियों का समूह मणिकर्णिका तीर्थ से शोभायात्रा के रूप में टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर पहुंचा।

विशाल डमरुओं की गर्जना और हर-हर महादेव के घोष के साथ साधु-संतों के साथ गृहस्थ भी हल्दी की रस्म में शा​मिल हुए। एक थाल में हल्दी, 11 थाल में फल, पांच थाल में मेवा-मिठाई, एक थाल में वस्त्र और एक थाल में आभूषण लेकर वे महंत आवास पहुंचे। यहां परंपरागत ढंग से सभी का स्वागत किया गया। संत दिगंबर खुशहाल भारती ने बाबा के लिए मेवाड़ से मंगाई गई हल्दी की थाल का पूजन किया। महंत परिवार के सदस्यों ने सभी साधु-महात्माओं को अंगवस्त्रम् एवं रुद्राक्ष की माला भेंट कर उनका स्वागत किया। इसके बाद महंत परिवार की महिलाओं के साथ श्रद्धालु महिलाओं ने हल्दी की रस्म पूरी की। इस दौरान एक तरफ मंगल गीतों का गान हो रहा था दूसरी तरफ बाबा को हल्दी लगाई जा रही थी। ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना पर आधारित गीत गाए गए। हल्दी की रस्म के बाद नजर उतारने के लिए ‘साठी क चाऊर चूमिय चूमिय..’ गीत गाकर महिलाओं ने भगवान शिव की रजत मूर्ति को चावल से चूमा। बाबा के तेल-हल्दी की रस्म दिवंगत महंत डा. कुलपति तिवारी की पत्नी मोहिनी देवी के सानिध्य में हुई। पूजन अर्चन का विधान उनके पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी ने पूर्ण किये। बाबा को खास बनारसी ठंडई, पान और पंचमेवा का भोग लगाया गया। इससे पूर्व बाबा का विशेष राजसी-स्वरूप में शृंगार संजीव रत्न मिश्र ने किया।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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