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महर्षि दयानंद के विचार एवं सिद्धांत आज भी प्रांसगिकः कैलाश सत्यार्थी

अंतर्राष्ट्रीय आर्य विद्वत् महासम्मेलन में मुख्यअतिथि को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित करते आयोजक ------

वेदों के ज्ञान प्रसार के लिए अंतरराष्ट्रीय वैदिक परिषद के गठन की घोषणा

रोहतक, 9 मार्च (Udaipur Kiran) । महर्षि दयानंद सस्वती की जयती एव आर्य समाज की स्थापना के अवसर पर स्वामी इन्द्रवेश विद्यापीठ टिटोली में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय आर्य विद्वत् महासम्मेलन रविवार को सम्पन्न हो गया। इस अवसर पर नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शिरक्त की। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद ने हमेशा समाज से अज्ञान, अंधकार और अन्याय के खिलाफ लोगों को लडऩा सिखाया। महर्षि दयानंद के सिद्धांत आज भी प्रांसगिक है। उन्होंने महर्षि दयानंद के दिखाए मार्ग पर चलने का भी आह्वान किया।

इस अवसर पर सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के महासचिव प्रो. वि-ल राव आर्य ने बताया कि कैसे दयानन्द सरस्वती ने समाज को रूढियों से मुक्त कर एक वैज्ञानिक और तार्किक दृष्टिकोण प्रदान किया। उनके सत्यार्थ प्रकाश जैसे ग्रंथ आज भी सामाजिक सुधार और भारतीय संस्कृति के पुनरुद्धार के लिए मार्गदर्शक हैं। इस अवसर पर नाडी वैध कायाकल्प के संस्थापक सत्यप्रकाश आर्य ने कहा की आगामी युग आयुर्वेद का है। उन्होंने आर्युवेद ही हमारी प्रचीन चिकित्सा पद्धति है और इसके प्रति हमे जागरूक भी होना होगा। महासम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय वैदिक परिषद के गठन की घोषणा की गई।

इस परिषद का उद्देश्य संपूर्ण विश्व में वेदों के ज्ञान का प्रसार करना और वैदिक परंपराओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से स्थापित करना होगा। साथ ही वैदिक विचारों और शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार को और अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से डॉ. जवळन्त कुमार ने शास्त्रार्थ महारथी महाविद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव रखा ओर सभी विद्वानों ने इसको स्वीकार किया। यह महाविद्यालय वैदिक ज्ञान, दर्शन, संस्कृत और योग के अध्ययन के लिए समर्पित होगा। इस अवसर पर डॉ. आनंद कुमार, स्वामी विदेह योगी, स्वामी ऋ तस्पति होश, स्वामी व्रतानन्द, डॉ. अनिल आर्य, साध्वी उत्मा यति, बिरजानंद, सीमा दहिया, डॉ. नरेश, हरहर आर्य, कमल आर्य ने भी अपने विचार सांझा किए।

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(Udaipur Kiran) / अनिल

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