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यूनेस्को विश्व धरोहर सांची में महाबोधी महोत्सव संपन्न, केंद्रीय मंत्री रिजिजू हुए शामिल

महाबोधी महोत्सव में केंद्रीय मंत्री रिजिजू
महाबोधी महोत्सव में केंद्रीय मंत्री रिजिजू
महाबोधी महोत्सव में केंद्रीय मंत्री रिजिजू
महाबोधी महोत्सव में केंद्रीय मंत्री रिजिजू
अस्ति कलश शोभा यात्रा
अस्ति कलश शोभा यात्रा
महाबोधी महोत्सव संपन्न, केंद्रीय मंत्री रिजिजू हुए शामिल

-तपस्वी स्वामी ने अस्थि कलश सिर पर रखकर की स्तूप परिक्रमा

भोपाल, 01 दिसंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित प्रसिद्ध बौद्ध पर्यटन एवं यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल सांची में आयोजित दो दिवसीय महाबोधि महोत्सव का रविवार शाम को संपन्न हुआ। महोत्सव में श्रीलंका, वियतनाम, थाईलैंड और जापान सहित कई देशों के बौद्ध धर्म के अनुयायी शामिल हुए। महाबोधी महोत्सव का केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार शाम को शुभारंभ किया था। वे दूसरे दिन रविवार को भी महोत्सव में शामिल हुए।

महाबोधी महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को सिर पर अस्ति कलश रखकर शोभा यात्रा निकाली गई। दोपहर 1:30 बजे शोभायात्रा चैत्यगिरी बिहार मंदिर से शुरू हुई। महाबोधी सोसाइटी के तपस्वी स्वामी महाराज ने भगवान बुद्ध के परम शिष्य सारीपुत्र और महामुगलायन का अस्थि कलश अपने सिर पर रखकर मुख्य स्तूप की परिक्रमा की। इस दौरान वियतनाम, जापान, सिंगापुर, थाईलैंड सहित अन्य देशों से आए बौद्ध अनुयायियों ने साधु-साधु का जयघोष किया।

समारोह में भाग लेकर सम्मानित महसूस कर रहाः केंद्रीय मंत्री रिजिजू

महाबोधि महोत्सव कि दूसरे दिन रविवार को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बौद्ध स्तूप परिसर में स्थित मंदिर में भगवान बुद्ध और सारिपुत्र और महामोदग्लायान के अस्थि अवशेषों का वंदन किया। उन्होंने बौद्ध स्तूपों का भ्रमण भी किया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा कि सांची का महान स्तूप तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनाया गया था। कई बार हम भारतीय इस बात का अहसास नहीं कर पाते कि हम कितने भाग्यशाली हैं और हमारी आध्यात्मिक और सभ्यता की धरोहर कितनी समृद्ध है। चेतियागिरी विहार की स्थापना की 72वीं स्मृति समारोह में भाग लेकर मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं।

उन्होंने कहा कि महाबोधि महोत्सव, जिसे सांची महोत्सव भी कहा जाता है, 1952 में शुरू हुआ। उस समय डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष थे। उन्होंने गौतम बुद्ध के शिष्यों सारिपुत्र और महामोग्गल्लान के अवशेष ब्रिटिश म्यूजियम से वापस भारत लाकर उन्हें सांची स्तूप में स्थापित किया। इस अवसर पर महाबोधि सोसाइटी के चीफ वानगल उपतिस नायक थेरो, सांची विधायक डॉ प्रभुराम चौधरी, कलेक्टर अरविंद दुबे, पुलिस अधीक्षक पंकज पाण्डे भी उपस्थित रहे।

चप्पे-चप्पे पर तैनात रहे पुलिस जवान

गौरतलब है कि सांची में हर साल महाबोधि सोसाइटी द्वारा जिला प्रशासन के सहयोग से ही यह आयोजन किया जाता है। इस पूरे आयोजन में जिला प्रशासन द्वारा पूरी व्यवस्थाएं की जाती हैं। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस जवान तैनात रहे। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कमलेश कुमार ने बताया आयोजन में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हैं। सुरक्षा की दृष्टि से चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान तैनात किए गए। पार्किंग व्यवस्था और मंदिर के बाहर भी पुलिस बल तैनात किए गया था।

(Udaipur Kiran) तोमर

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