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जम्मू, 9 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । माघ पूर्णिमा सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। माघ पूर्णिमा के विषय में श्रीकैलख ज्योतिष एवं वैदिक ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को माघ पूर्णिमा कहा जाता है। इस वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी मंगलवार को शाम 06 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 12 फरवरी बुधवार शाम 07 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी। माघ दिवा और रात्रि पूर्णिमा व्रत 12 फरवरी बुधवार को ही होगा। इस वर्ष माघ पूर्णिमा व्रत का उद्यापन (मोख) 12 फरवरी बुधवार को कर सकते हैं।
इस दिन भगवान श्रीसत्यनारायण जी भगवान की कथा पढ़ना अथवा सुनना या पूजा करवाना बेहद शुभ होता है। पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान श्रीगणेश माता पार्वती भगवान शिव और चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व है। धर्मग्रंथों के अनुसार प्रत्येक माघ पूर्णिमा पर श्रीहरि भगवान विष्णु जी स्वयं किसी न किसी रूप में गंगा स्नान करने अवश्य आते हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का बड़ा विशेष महत्व होता है। इस दिन हरिद्वार, प्रयागराज आदि जगहों पर मेले आयोजित होते हैं। इनके अलावा नर्मदा, यमुना, शिप्रा, गोदावरी समेत अन्य पवित्र नदियों के तट पर भी लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान करने पहुंचते हैं। माघ पूर्णिमा पर पवित्र नदियों, सरोवरों में स्नान करने का विशेष महत्व है। किसी भी कारणवश पवित्र नदियों, सरोवरों में स्नान नहीं कर पाए तो घर में ही पानी में गंगाजल डाल कर स्नान करें और घर के आस पास जरूरतमंद लोगों को यथाशक्ति दान अवश्य करें ऐसा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए,ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए,इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं,इस दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है। बुधवार 12 फरवरी को श्रीगुरु रविदास जी एवं श्रीललिता जयंती भी है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
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