Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश का अभिनव प्रयोग,  पहली बार 4000 सरकारी स्कूलों में नर्सरी कक्षाओं की शुरुआत की जा रही

कुशाभाऊ ठाकरे हॉल भोपाल में शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने नींव नए भारत की विषय पर पाञ्चजन्य के साथ किया सुशासन संवाद

– कृषि शिक्षा में क्रांति के लिए तैयार है कृषि प्रधान प्रदेश

कुशाभाऊ ठाकरे हॉल भोपाल में शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने नींव नए भारत की विषय पर पाञ्चजन्य के साथ किया सुशासन संवाद

भोपाल, 24 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्‍य प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में कई प्रयोग होते रहे हैं। इनमें से कुछ सफल हुए और लाभप्रद साबित हुए, वहीं कुछ असफल भी हुए जिससे नुकसान उठाना पड़ा। शिक्षा मंत्री बनने के बाद, उन्होंने शिक्षा प्रणाली में बिना किसी अनावश्यक छेड़छाड़ के काम करने का फैसला लिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार का मुख्य लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों को बिना किसी अनावश्यक हस्तक्षेप के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, जबकि माता-पिता को भी इस बात की चिंता न हो कि उनकी संतान की शिक्षा के लिए उन पर वित्तीय दबाव डाला जाए। उक्‍त उद्गार भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे हॉल में आयोजित पाञ्चजन्य के सुशासन संवाद कार्यक्रम में शनिवार को मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री, उदय प्रताप सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र में सरकार की नीतियों और दृष्टिकोण पर महत्वपूर्ण बातें साझा करते हुए कहीं। उन्होंने अपने अनुभवों और सरकार के उद्देश्यों पर विस्तार से चर्चा की।

उदय प्रताप सिंह ने कहा कि पहले से बने कानूनों का सही ढंग से क्रियान्वयन करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। मुख्यमंत्री मोहन यादव जी का स्पष्ट निर्देश था कि बेहतर शिक्षण व्यवस्था के लिए कुछ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी संतोष व्यक्त किया कि राज्य के 97% से अधिक निजी स्कूलों ने सरकार के प्रयासों का समर्थन किया, जिससे बच्चों की शिक्षा के खर्च में कमी आई है। उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों को सस्ता और उचित पाठ्यक्रम सामग्री उपलब्ध कराने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। शिक्षा को व्यवसाय के रूप में देखने के बजाय इसे सेवा के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले और उनके परिवारों पर आर्थिक बोझ न पड़े, यह सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता है।

उदय प्रताप सिंह ने सरकारी स्कूलों की चुनौतियों पर भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की गुणवत्ता और संख्या में सुधार की आवश्यकता है। साथ ही, निजी स्कूलों के साथ प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए सरकारी स्कूलों को अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार करना होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को समय पर स्कूल पहुंचने और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। मंत्री ने यह भी बताया कि मध्य प्रदेश में पहली बार 4000 सरकारी स्कूलों में नर्सरी कक्षाओं की शुरुआत की जा रही है। उन्होंने कृषि आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी कदम उठाने की योजना का खुलासा किया। इसके तहत, उन सरकारी स्कूलों में कृषि शिक्षा दी जाएगी, जिनके पास तीन एकड़ या उससे अधिक भूमि उपलब्ध है। इससे न केवल छात्रों का कृषि के प्रति जुड़ाव बढ़ेगा, बल्कि उन्हें खेती के आधुनिक और लाभप्रद तरीकों की जानकारी भी मिलेगी।

उदय प्रताप सिंह ने अंत में यह भी कहा कि समाज और संस्कृति से जुड़े रहना हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शिक्षा सुधारों का उल्लेख करते हुए कहा कि मैकाले की शिक्षण व्यवस्था को किनारे कर नई शिक्षा निति लागू करने का काम प्रधानमंत्री ने किया है, जो भारत की शिक्षा प्रणाली के लिए एक बड़ा कदम है। देश में जब नई शिक्षा नीति पूरी तरह से लागू हो जाएगी, तब यह दुनिया की सबसे आदर्श शिक्षण व्यवस्था साबित होगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह नीति न केवल शिक्षण व्यवस्था को सुधारने में सहायक होगी, बल्कि भारतीय संस्कृति को संरक्षित और सुरक्षित रखते हुए समाज को आगे बढ़ाएगी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि हाल ही में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों में इसे व्यापक रूप से मनाया गया। मंत्री ने कहा कि हमारे समाज में गुरु का महत्व अति उच्च है और बच्चों को यह समझाने की आवश्यकता है कि उनके माता-पिता और शिक्षक उनके जीवन के सबसे बड़े गुरु होते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव जी के नेतृत्व में सरकार ने यह निर्णय लिया कि राज्य के सभी प्राइवेट और सरकारी संस्थानों में गुरु पूर्णिमा का आयोजन किया जाएगा।

मंत्री उदय प्रताप सिंह ने यह भी बताया कि जब सरकार ने शिक्षा विभाग का कार्यभार संभाला, तब विभाग के विभिन्न पहलुओं का गहन समीक्षा किया गया। समीक्षा के दौरान पता चला कि कुछ स्थानों पर अनियमितताएं थीं। विशेष रूप से, मदरसों में कई ऐसी गतिविधियाँ संचालित हो रही थीं जो पंजीकरण और अनुदान के मानकों का पालन नहीं कर रही थीं। उन्होंने बताया कि जांच के बाद लगभग 56 मदरसे बंद कर दिए गए, क्योंकि वे शिक्षा प्रदान करने के बजाय अन्य गतिविधियों में लिप्त थे। मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि सरकार की परमिशन केवल शिक्षण कार्यों के लिए दी जाती है और इसका किसी अन्य उद्देश्य के लिए दुरुपयोग कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य में किसी भी प्रकार की समाज विरोधी गतिविधि शैक्षणिक केंद्रों से संचालित नहीं हो सकती और सरकार इस मामले में बेहद सख्त कदम उठा रही है। मंत्री ने कहा कि आने वाले समय में सरकार दूध का दूध और पानी का पानी करने के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्री उदय प्रताप सिंह ने नई शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने को एक बड़ी चुनौती बताते हुए आगे कहा कि एनईपी का मुख्य उद्देश्य पूरे देश में एक समान शिक्षा प्रणाली स्थापित करना है, जिसमें सिलेबस से लेकर शिक्षा के तरीके तक एकरूपता लाई जा सके। हालांकि, राज्यों को अपनी स्थानीय भाषाओं और परिवेश के अनुसार कुछ बदलाव करने की अनुमति दी गई है, जिस पर राज्य का शिक्षा विभाग काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि हायर एजुकेशन पर पहले से ही काम हो रहा है और स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में भी धीरे-धीरे बदलाव किए जा रहे हैं। मंत्री ने बताया कि स्कूल शिक्षा में बदलाव तुरंत नहीं किए जा सकते, खासकर छोटे बच्चों के लिए। सिलेबस में परिवर्तन धीरे-धीरे और बहुत सोच-समझकर किए जाएंगे ताकि बच्चों की शिक्षा पर इसका कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े। उन्होंने यह भी बताया कि नई शिक्षा नीति में रोजगार मूलक शिक्षा पर जोर दिया जाएगा और बच्चों को नर्सरी से ही पढ़ाई में लगाया जाएगा। मंत्री ने आगे बताया कि राज्य सरकार नर्सरी एजुकेशन के लिए ऐसे स्कूलों की स्थापना कर रही है, जो छोटे बच्चों के लिए सुविधाजनक हों और प्राइवेट स्कूलों से बेहतर साबित हों। उन्होंने बताया कि फिलहाल लगभग 600 स्कूलों पर काम चल रहा है, जिनमें डिजिटल शिक्षा और हाईटेक सिस्टम्स का उपयोग किया जाएगा। इन स्कूलों में चयनित शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण देकर बेहतर परिणाम प्राप्त करने की योजना है।

नर्मदा पुरम में सीएम राइस स्कूल का उदाहरण देते हुए मंत्री ने बताया कि लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकालकर इस सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाने लगे हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम बेहतर शिक्षा प्रदान करते हैं, तो समाज उसे स्वीकार करेगा और जब परिणाम दिखने लगेंगे, तो और भी लोग आकर्षित होंगे। मंत्री ने यह भी बताया कि आने वाले पांच से सात वर्षों में मध्य प्रदेश में नई शिक्षा नीति की 80 से 85 फीसदी अपेक्षाओं को पूरा करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि बच्चों को नई शिक्षा व्यवस्था में ढालने के लिए मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है और इसके लिए राज्य सरकार स्थानीय स्तर पर आवश्यक बदलाव करने के लिए प्रयासरत है।

रोजगार के अवसरों को ध्यान में रखते हुए, मंत्री ने बताया कि 9वीं से 12वीं कक्षा के बच्चों के लिए जर्मन और जापानी भाषाओं को सिखाने की योजना बनाई जा रही है, ताकि वे देश और विदेश में रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त कर सकें। रक्षाबंधन के अवसर पर एक मिशनरी स्कूल में राखी बंधवाने के मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि भविष्य में इस तरह की समस्याओं को भी शिक्षण व्यवस्था के माध्यम से हल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में भारतीय संस्कृति को संरक्षित रखने की व्यवस्था की जाएगी, ताकि बच्चों को अपनी परंपराओं और मान्यताओं का महत्व समझ में आ सके।मंत्री उदय प्रताप सिंह ने यह भी कहा कि जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे नेता होते हैं, तो बड़े बदलाव करना आसान हो जाता है और आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।

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(Udaipur Kiran) / डॉ. मयंक चतुर्वेदी / उम्मेद सिंह रावत

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