भोपाल, 16 जनवरी (Udaipur Kiran) । शहडोल में गुरुवार को आयोजित प्रदेश की सातवीं रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव राघवेन्द्र कुमार सिंह ने शहडोल क्षेत्र में निवेश की अपार संभावनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार निवेशकों के लिए आकर्षक नीतियां और सुविधाएं प्रदान कर रही है, जिससे यह क्षेत्र आर्थिक और औद्योगिक विकास के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है।
उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है और वन क्षेत्र के मामले में पहले स्थान पर है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा खाद्यान्न उत्पादक राज्य भी है। साथ ही मध्यप्रदेश तांबा, मैंगनीज, मोलिब्डेनम और हीरे के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है। मध्यप्रदेश यह देश का पांचवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है, जो एक विशाल उपभोक्ता बाजार प्रदान करता है। प्रदेश में 15.9 लाख एमएसएमई इकाइयां कार्यरत हैं, जो 83 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान कर रही हैं। यह भारत में एमएसएमई का 7वां सबसे बड़ा आधार है। राज्य सरकार द्वारा एमएसएमई नीति के तहत पूंजी सब्सिडी, गुणवत्ता प्रमाणन, ऊर्जा ऑडिट और बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।
उन्होंने कहा कि शहडोल, उमरिया और अनूपपुर जिलों में एमएसएमई विभाग द्वारा 153.78 हेक्टेयर क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, 28.25 हेक्टेयर भूमि औद्योगिक उपयोग के लिए उपलब्ध है। इस क्षेत्र में अब तक 916 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया गया है और 1.71 लाख रोजगार सृजित किए गए हैं। शहडोल, उमरिया और अनूपपुर जिलों के लिए “एक जिला, एक उत्पाद” (ODOP) योजना के तहत महुआ, कोदो-कुटकी, और हल्दी जैसे उत्पादों के प्रसंस्करण को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
शहडोल क्षेत्र न केवल धार्मिक वरन पर्यटन के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां अमरकंटक से नर्मदा नदी सहित अन्य दो जोहिला और सोन नदियों का भी उद्गम होता है। शहडोल में वन उत्पाद महुआ, हल्दी, और कोदो-कुटकी के प्र-संस्करण में निवेश के अपार अवसर हैं। इन उत्पादों से खाद्य पदार्थ, औषधियां, पशु आहार और स्वास्थ्य सप्लीमेंट जैसे उत्पादों का निर्माण किया जा सकता है। इसके साथ ही, क्षेत्र में कृषि प्र-संस्करण, खनिज प्र-संस्करण (चूना पत्थर, डोलोमाइट, बॉक्साइट), पर्यटन और कौशल विकास के लिए भी व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं।
एमएसएमई और स्टार्ट-अप्स के लिए अपार संभावनाओं का सूत्रपात
एमएसएमई सचिव प्रियंका दास ने प्रेजेंटेशन से प्रदेश की नीतियों, उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयास कर रही है। राज्य का एमएसएमई और स्टार्ट-अप इको सिस्टम आर्थिक और औद्योगिक विकास की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है। यह भारत में एमएसएमई का 7वां सबसे बड़ा आधार है। प्रदेश में अब तक 2,51,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया जा चुका है, जो प्रदेश की औद्योगिक क्षमता को दर्शाता है। राज्य सरकार द्वारा एमएसएमई क्षेत्र के लिए पूंजी सब्सिडी, गुणवत्ता प्रमाणन, ऊर्जा ऑडिट, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के लिए सहायता और निर्यातोन्मुखी इकाइयों को अतिरिक्त लाभ प्रदान किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप के क्षेत्र में भी मध्य प्रदेश अग्रणी भूमिका निभा रहा है। प्रदेश में 4900 से अधिक स्टार्ट-अप हैं, जिनमें से 47% महिलाएं नेतृत्व कर रही हैं। ये स्टार्ट-अप 72 इंक्यूबेटर्स और 4 अटल इनक्यूबेशन सेंटर्स की सहायता से संचालित हो रहे हैं। सरकार स्टार्ट-अप के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों के लिए विपणन सहयोग और उत्पाद आधारित स्टार्ट-अप के लिए विशेष पैकेज प्रदान किए जा रहे हैं।
शहडोल क्षेत्र में औद्योगिक और स्टार्ट-अप विकास की अपार संभावनाएं हैं। शहडोल, उमरिया और अनूपपुर जिलों में कुल पांच औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए गए हैं, जिनमें 916 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया गया है। इनसे 1.71 लाख लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं। यह क्षेत्र महुआ, बांस जैसे वनोपज एवं हल्दी के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है, जो औद्योगिक विकास के लिए कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करता है।
प्रदेश सरकार एमएसएमई और स्टार्ट-अप को निवेश पर 40% तक प्रोत्साहन प्रदान कर रही है। इसके अतिरिक्त, ऊर्जा शुल्क में छूट, बिजली कर से मुक्ति, गुणवत्ता प्रमाणन और पेटेंट शुल्क की प्रतिपूर्ति जैसे लाभ दिए जा रहे हैं। खाद्य प्र-संस्करण, परिधान, खिलौना और फर्नीचर जैसे क्षेत्रों को विशेष सब्सिडी प्रदान की जा रही है।
नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में राज्य ने उल्लेखनीय प्रगति: श्रीवास्तव
अपर मुख्य सचिव मनु श्रीवास्तव ने नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के अवसरों पर प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष-2012 से 2024 तक राज्य में नवकरणीय ऊर्जा की क्षमता में 491 मेगावाट से 6418 मेगावाट की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के विजन एवं मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में आने वाले वर्षों में ऊर्जा मुख्यतः नवकरणीय ऊर्जा पर आधारित होगी।
श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कई बड़ी परियोजनाएं पहले ही सफलतापूर्वक संचालित हो रही हैं। रीवा सोलर पार्क और ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट जैसे मेगा प्रोजेक्ट प्रदेश में संचालित है। आगर नीमच सौर परियोजना का मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उदघाटन किया है। शाजापुर और नीमच जैसे प्रमुख सौर पार्क भी इस वर्ष के अंत तक शुरू हो जाएंगे, जिससे राज्य की ऊर्जा क्षमता और अधिक सुदृढ़ होगी।
एसीएस श्रीवास्तव ने कहा कि मुरैना हाइब्रिड पार्क मध्यप्रदेश की नवाचार क्षमता का एक अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश और उत्तरप्रदेश की संयुक्त परियोजना स्थापित की जा रही है, जिसमें दोनों राज्यों में 6-6 माह विद्युत आपूर्ति होगी, यह देश में दो राज्यों का पहला ऐसा संयुक्त प्रोजेक्ट है। उन्होंने कहा कि किसानों को सशक्त बनाने के लिए कुसुम योजना के तहत सौर ऊर्जा परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अब तक 21,134 सोलर पंप राज्य में लगाए जा चुके हैं और 1,490 मेगावाट क्षमता के प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई है। ये प्रोजेक्ट्स किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के विजन अनुसार राज्य में 35 लाख से अधिक सोलर पंप स्थापित करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत रूफटॉप सोलर परियोजनाएं भी राज्य में तेजी से स्थापित की जा रही है। सोलर रुफटॉप परियोजना में आकर्षक सब्सिडी प्रदान की जा रही है।
श्रीवास्तव ने कहा कि यह बड़ी उपलब्धि है कि मध्य प्रदेश ने अब तक 2.15 रुपये प्रति यूनिट की रिकॉर्ड न्यूनतम दर पर सौर ऊर्जा प्राप्त की है कि यह देश में सबसे न्यूनतम है। सोलर पार्क की तर्ज पर विण्ड हाइब्रिड पार्क विकसित करने की परियोजना प्रस्तावित है। सरकार ने 2025-26 तक सभी सरकारी भवनों के सोलराइजेशन का लक्ष्य रखा है। उन्होंने निवेशकों से अपील की राज्य में सूर्य की यात्रा का हिस्सा बने और नवकरणीय ऊर्जा में निवेश करें।
(Udaipur Kiran) तोमर