– नए सिरे से स्टेट मेरिट लिस्ट तैयार करने के दिए निर्देश
जबलपुर, 9 दिसंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट फॉर पोस्ट ग्रेजुएशन (नीट-NEET) प्री पीजी काउंसिलिंग मामले में अहम फैसला सुनाते हुए 2024 की प्रक्रिया को रद्द कर दिया है, साथ ही इन सर्विस कैंडिडेट को अतिरिक्त अंक देने के निर्देश देते हुए नए सिरे से स्टेट मेरिट लिस्ट तैयार करने को कहा है। जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंस (एनबीईएमएस) को आदेश दिए।
दरअसल, पूरा मामला स्टेट मेरिट लिस्ट तैयार करने में नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है। इसमें कई इन सर्विस कैंडिडेट्स को रैंकिंग में पीछे कर दिया गया था। इसको लेकर मप्र उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की गई थीं। उच्च न्यायालय ने इसके पहले याचिका की सुनवाई करते हुए काउंसिलिंग प्रक्रिया के रिजल्ट पर रोक लगा दी थी। रीवा के डॉक्टर अभिषेक शुक्ला और दूसरे याचिकाकर्ताओं की ओर से हाई कोर्ट में पक्ष रखा गया था।
इनकी ओर से वकील आदित्य संघी ने कोर्ट को बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में मेडिकल ऑफिसर के पदों पर तीन साल की सेवा पूरी करने के बाद अतिरिक्त अंक का लाभ दिया जाता है। नीट प्री पीजी काउंसिलिंग 2024 के लिए जो मेरिट लिस्ट तैयार की गई है, उसमें नॉर्मलाइजेशन का उपयोग किया गया, लेकिन राज्य सरकार ने दूसरी बार इस प्रक्रिया को लागू करते हुए नई सूची तैयार की। इससे याचिकाकर्ता की रैंकिंग प्रभावित हुई और वह राज्य की मेरिट सूची में नीचे स्थान पर आए गए। हाईकोर्ट को यह भी बताया गया कि नियमों का उल्लंघन करते हुए स्टेट मेरिट लिस्ट बनाई जा रही है। सैकड़ों छात्र इससे प्रभावित हैं।
अधिवक्ता आदित्य संघी ने बताया कि कोर्ट ने नई लिस्ट बनाने को कहा है। राज्य सरकार को भी निर्देशित किया है। इस नई लिस्ट से फायदा यह होगा कि मेरिटोरियस बच्चों को अच्छी सीट मिलेगी। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया सिर्फ यह नहीं होता कि एक फॉर्मूला बना दो और यह भी नहीं देख पाएं कि जो छात्र ऑल इंडिया रैंक में दो हजार ऊपर है, वह स्टेट लिस्ट में 200 नीचे कैसे जा सकता है। लिहाजा यह फॉर्मूला पूरी तरह से गलत है। हाई कोर्ट ने पूरी काउंसिलिंग प्रक्रिया को रद्द कर नियमानुसार इन सर्विस कैंडिडेट को अतिरिक्त अंक देते हुए मेरिट सूची तैयार करने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट में दी डकवर्थ लुईस नियम की दलील
अधिवक्ता आदित्य संघी ने बताया कि नीट की ऑल इंडिया रैंक में जो मेरिटोरियस स्टूडेंट 2000 रैंक ऊपर थे, लेकिन जब स्टेट की लिस्ट बनती है और इसमें इन सर्विस (सेवा काल) के मार्क्स (यह सभी के लिए बराबर 30% होते हैं) जोड़े जाते हैं, तो यही मेरिटोरियस स्टूडेंट स्टेट की लिस्ट में 200 रैंक नीचे आ गया। ऐसे कई उदाहरण हैं। इसका मतलब यह है कि योग्यता को नुकसान हुआ।’ स्टेट में मेरिट लिस्ट के फार्मूला पर अधिवक्ता संघी ने बताया कि मैंने कोर्ट में दलील दी कि क्रिकेट में जैसे डकवर्थ लुईस सिस्टम है, आपको कुछ समझ नहीं आता। इसी तरह यह जो फार्मूला है, वो 12 पन्ने में चल रहा है। हाई कोर्ट ने यह एक ऐतिहासिक फैसला दिया है, यह मील का पत्थर है, क्योंकि पूरे देश में कई हाई कोर्ट में यही पॉइंट चैलेंज हुआ है।’
(Udaipur Kiran) तोमर