बागपत, 22 जनवरी (Udaipur Kiran) । बागपत जिले की खेकड़ा तहसील ने सरकारी जमीन को बेच दिया और उसका दाखिल खारिज भी हो गया। खरीदार को जब जमीन की सच्चाई पता चली तो तहसील कर्मियों ने खुद को बचाने के लिए दाखिल खारिज को निरस्त कर अपना पल्ला झाड़ लिया। लेकिन तहसील कर्मियों और विक्रेता की साजिश से बेचारे किसान को 44 लाख गवाने पड़ गए।
मामला खेकड़ा तहसील क्षेत्र के गौना गांव की सरकारी जमीन से जुड़ा है। मंसूरपुर गांव निवासी राजबीर ने खेती में घाटा होने पर बैंक से कर्ज लिया था। लेकिन वह बैंक का कर्ज नहीं उतार पाया। कर्ज लाखों में पहुंच गया। बैक का कर्ज उतारने के लिए उसको अपनी जमीन बेचनी पड़ी। जमीन बेचकर उसने बैक का कर्ज उतार दिया। जो पैसे बचे उससे गोना गांव में खसरा संख्या 688/19 का 1/2 भाग खरीद लिया। तहसील में उसने बैनामा कराया और दाखिल खारिज भी हुआ। राजबीर ने बताया की जब वह जमीन पर कब्जा लेने के लिए पहुंचा तो उसको पता चला कि जमीन सरकारी है। राजबीर ने इसकी शिकायत खेकड़ा एसडीएम से की। खेकड़ा एसडीएम ने बैनामा निरस्त कर दिया।
किसान के लूट गए 44 लाख रुपये
राजबीर का कहना है कि उसने कुछ पैसे आरटीजीएस ओर कुछ चेक के माध्यम से कुल 44 लाख रुपये दिए थे। काफी प्रयास के बाद पुलिस ने 5 लोगों के खिलाफ मुकदमा तो दर्ज कर लिया लेकिन जांच के नाम पर कारवाई शून्य है।
सरकारी कर्मचारियों को बचाने का प्रयास
इस धोखाधड़ी के मामले में लेखपाल, नायब तहसीलदार, ओर तहसीलदार की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए है। अनपढ़ किसान होने का फायदा उठाकर सरकारी जमीन बेचने में सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा तथ्य छिपाए गए। अब दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
विक्रेता के खिलाफ एसडीएम ने नहीं उठाया कदम
सरकारी जमीन का विक्रय करने वाले उम्मेद अली व मुनसब के खिलाफ प्रशासन की और से कोई कदम नहीं उठाया गया है। पीड़ित राजबीर ने ही चाँदीनगर थाने पर मुकदमा कराया है। जबकि सरकारी जमीन विक्रय करने वाले के खिलाफ प्रशासन की ओर से भी कारवाई होनी थी।
जांच चल रही है
एसडीएम खेकड़ा ज्योति शर्मा का कहना है कि जमीन का बैनामा निरस्त कर दिया गया है। लेखपाल अंकुश शर्मा मेरठ में तैनात है। पूरे मामले की जांच की जा रही है।
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(Udaipur Kiran) / सचिन त्यागी