यूपी में मधुमेह के सबसे कम रोगी
लखनऊ, 14 नवंबर (Udaipur Kiran) । मधुमेह निवारण कार्यक्रम के तहत यह बात सामने आई कि सिर्फ 5% वजन कम करके मधुमेह की 58% संभावना को नियंत्रित किया जा सकता है। कम से कम 136 मिलियन प्री-डायबिटिक लोग थे जिन्हें अच्छी जीवनशैली, संतुलित आहार और जॉगिंग, साइकिलिंग और अन्य खेलों जैसे व्यायाम को अपनाकर मधुमेह से बचाया जा सकता है। यह जानकारी रिसर्च सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया के यूपी चैप्टर के अध्यक्ष डा. नरसिंह वर्मा ने दी।
डा. नरसिंह वर्मा ने बताया कि इस वर्ष के विश्व मधुमेह दिवस का विषय मधुमेह के अपने जोखिम को जानना है और नारा है अपने जोखिम को जानें, अपनी प्रतिक्रिया जानें। डा. वर्मा ने बताया कि भारत में 101 मिलियन से अधिक लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। मधुमेह का सबसे अधिक प्रसार गोवा (26.4%), पुडुचेरी (26.3%) और केरल (25.5%) में देखा गया। राष्ट्रीय औसत 11.4% है। हालाँकि, अध्ययन यूपी, एमपी, बिहार और अरुणाचल प्रदेश जैसे कम प्रसार वाले राज्यों में मधुमेह के मामलों में विस्फोट की चेतावनी देता है।
डा. नरसिंह वर्मा ने बताया कि यूपी में मधुमेह से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति के लिए, लगभग चार लोग प्री-डायबिटीज से पीड़ित हैं। इसका मतलब है कि ये लोग जल्द ही मधुमेह रोगी बन जायेंगे। यूपी में मधुमेह का प्रसार 4.8% है, जो देश में सबसे कम है, लेकिन राष्ट्रीय औसत 15.3% की तुलना में 18% प्री-डायबिटीज हैं। जबकि भारत की 11.4% आबादी मधुमेह से पीड़ित है, 15.3% को प्री-डायबिटीज है। दिल्ली में मधुमेह से पूर्व मधुमेह वाले लोगों का अनुपात 1:1, महाराष्ट्र में 1:1.2, हरियाणा में 1:1.5 और यूपी में 1:3.8 है।
मधुमेह के प्रमुख विशेषज्ञ डॉ. अजय तिवारी ने बताया कि मधुमेह शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। देखभाल अक्सर केवल रक्त शर्करा प्रबंधन पर केंद्रित होती है, जिससे कई लोग परेशान हो जाते हैं। मधुमेह से पीड़ित लोगों के बीच किए गए हाल के अध्ययनों से पता चला है कि: 36% मधुमेह से परेशानी का अनुभव करते हैं, मधुमेह से पीड़ित 63% लोगों का कहना है कि मधुमेह से संबंधित जटिलताओं के विकसित होने का डर उनकी भलाई को प्रभावित करता है। मधुमेह से पीड़ित 28% लोगों को अपनी स्थिति के संबंध में सकारात्मक बने रहना कठिन लगता है।
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(Udaipur Kiran) / बृजनंदन