Uttrakhand

धर्म की स्थापना एवं पापियों के विनाश को प्रत्येक युग में अवतरित होते हैं भगवान श्रीकृष्णः नर्मदाशंकर पुरी

कथा के दौरान

हरिद्वार, 21 सितंबर (Udaipur Kiran) । भूपतवाला स्थित महाराजा अग्रसेन सेवा सदन ट्रस्ट के अग्रवाल भवन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। कथा के दौरान जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, पूरा पंडाल श्रद्धालु भक्तों के जयकारों और नंद घर आनंद भयो के भजनों से गुंजायमान हो उठा।

कथा व्यास महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी नर्मदा शंकर पुरी महाराज ने कहा कि जब-जब धरती पर पाप बढ़ा है, भगवान श्रीकृष्ण ने किसी न किसी रूप में अवतरित होकर मानव जाति के संकट को दूर और धर्म को स्थापित किया है। उन्होंने बताया कि कंस के कारागार में भादो मास की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, जिसके साथ ही जेल के सारे बंधन टूट गए। श्रीकृष्ण ने अत्याचारी कंस का वध करके पृथ्वी को अत्याचार से मुक्त किया और अपने माता-पिता को कारागार से छुड़वाया।

आचार्य स्वामी नर्मदा शंकरपुरी महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत जीवन जीने की कला सिखाती है। प्रत्येक परिस्थिति में बुद्धि और विवेक से समझने की क्षमता ही व्यक्ति को भवसागर से पार लगाती है। उन्होंने कहा कि भगवान अपने भक्तों के वश में हैं, और जब भी व्यक्ति श्रद्धा और आस्था से भगवान का स्मरण करता है, तब वह उन्हें हर संकट से उभारकर उनके जीवन में खुशियां भर देते हैं। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा स्वयं की प्रकृति और परम वास्तविकता के बारे में सिखाती है, और कलयुग में यह साक्षात श्री हरि का रूप है। पवन हृदय से इसका श्रवण करने से करोड़ों पुण्य का फल प्राप्त होता है।

इस अवसर पर पवन गर्ग, राजेंद्र गर्ग, रमेश मित्तल, सोनी गोयल, राहुल गुप्ता सहित श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

Most Popular

To Top