जगदलपुर, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) । बस्तर गोंचा महापर्व में आज साेमवार काे गुडि़चा मंदिर-सिरहासार भवन में स्थापित भगवान श्रीजगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के 22 विग्रहों को आसन से नीचे उतारकर श्रद्धालुओं और भगवान के समागम में श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ पड़े। इस दाैरान भगवान श्रीजगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के विग्रहाें काे श्रद्धालु स्वयं पूजा कर सकते हैं एवं भगवान के विग्रहाें तक पहुंच सकते हैं, यह बाहुड़ा गाेंचा के दिवस पर कुछ घंटाे के लिए ही उपलब्ध हाेता है। इसके कुछ देर बाद बाहुडा गोंचा रथयात्रा पूजा विधान के तहत भगवान श्रीजगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के 22 विग्रहों को रथारूढ़ कर रथ परिक्रमा मार्ग से होते हुए नौ दिनों बाद आज साेमवार काे श्रीमंदिर पहुंचे। इस दौरान श्रद्धालुओं ने पारम्परिक रूप से तुपकी चलाकर सलामी देते हुए बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे थे। श्रीमंदिर में श्रीजगन्नाथ के जयकारे व हरि बोलो के उद्घघोष के साथ परंपरानुसार भगवान के विग्रहाें के नजर उतारने की पूजा विधान के बाद कपाट-फेड़ा पूजा विधान में पंचमी तिथि को रूठकर श्रीमंदिर वापस लौटी माता लक्ष्मी से संवाद व मान-मनौव्वल की रस्म लक्षमी-नारायण संवाद के बाद भगवान जगन्नाथ, माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के विग्रहों को श्रीमंदिर के गर्भगृह में आगामी बस्तर गोंचा पर्व तक स्थापित किया गया।
आज साेमवार काे लगातार हाे रहे बारिश के बावजूद बस्तर गोंचा पर्व के बाहुडा गोंचा रथयात्रा में सुबह से ही श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते रहे। वहीं बस्तर गोंचा का मुख्य आकर्षण तुपकी से भगवान जगन्नाथ को सलामी देने की परंपरा के निर्वहन के लिए ग्रामीण अंचलों से तुपकी एवं पेंंग बेचने वाले भी बड़ी संख्या में पहुंचकर शहर के चौक-चौराहो पर महिला एवं पुरुष तुपकी बेचते रहे। आस्था के इस संगम में श्रीगोंचा रथयात्रा से अधिक बाह़ुडा गोंचा रथयात्रा में तुपकी की मांग बनी हुई थी। शहर में दिन भर भगवान जगन्नाथ को सलामी देते तुपकियों की आवाज गूंजती रही।
बस्तर
गोंचा महापर्व समिति के अध्यक्ष विवेक पांडे ने बताया कि भगवान श्रीजगन्नाथ माता सुभद्रा व बलभद्र स्वामी के श्रीमंदिर वापसी काे बाहुड़ा
गोंचा रथयात्रा पूजा
विधान कहा जाता है। रथारूढ़ भगवान
श्रीजगन्नाथ के श्रीमंदिर
में स्थापित होने
के साथ ही
बस्तर गोंचा पर्व
का परायण आगामी
वर्ष के लिए
हो गया। इसके पश्चात बुधवार आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी की तिथि में 17 जुलाई काे देवशायनी एकादशी के साथ सभी मांगलिक कार्य आगामी देवउठनी तक के लिए स्थगित रहेंगे।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / राकेश पांडे / चन्द्र नारायण शुक्ल