
-श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुन भावविभोर हुए श्रद्धालु
हरिद्वार, 22 मई (Udaipur Kiran) । कनखल स्थित दरिद्र भंजन महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने श्रीकृष्ण जन्म की कथा का रसपूर्ण वर्णन किया।
पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि प्रभु की कृपा एवं मनुष्य के कर्मों के फलस्वरूप ही जीवन में अच्छे व बुरे दिन आते हैं। जिस समय भगवान कृष्ण का जन्म हुआ। जेल के ताले टूट गये। पहरेदार सो गये। वासुदेव व देवकी बंधन मुक्त हो गए। प्रभु की कृपा से कुछ भी असंभव नहीं है। कृपा न होने पर प्रभु मनुष्य को सभी सुखों से वंचित कर देते हैं एवं प्रभु कृपा होते ही मनुष्य के सारे कष्ट दूर हो जाते है। भगवान का जन्म होने के बाद वासुदेव कंस के कारागार से निकल कर बाल रूप प्रभु को टोकरी में रख कर नंदभवन गोकुल के लिए चल दिए और जमुना पार कर बालक को गोकुल पहुंचा दिया। वहां से वह यशोदा के यहां पैदा हुई शक्तिरूपा कन्या को लेकर मथुरा चले आये। शास्त्री ने कहा कि कंस ने वासुदेव के हाथ से कन्या को छीनकर जमीन पर पटकना चाहा तो वह कन्या राजा कंस के हाथ से छूटकर आसमान में चली गई। शक्ति रूप में प्रकट होकर आकाशवाणी करने लगी कि कंस, तेरा वध करने वाला कहीं और पैदा हो चुका है। भयभीत कंस खीजता हुआ अपने महल की ओर लौट गया। इधर प्रातः जब गोकुलवासियाें को पता चला कि नंदभवन में नन्द रानी ने बालक को जन्म दिया है तो सारे गोकुलवासी नंदभवन में एकत्रित हो कर उत्सव मनाने लगे।
इस अवसर पर दिल्ली से आए मुख्य यजमान रीतेश गुप्ता, मुकेश गुप्ता, योगेश गुप्ता, गणेश गुप्ता, डीके गुप्ता, मुख्य पुजारी पंडित कृष्ण कुमार शास्त्री, आशु गुप्ता, देव गुप्ता, अर्जुन गुप्ता, करण गुप्ता, सुभाषचंद्र गुप्ता, हरिप्रसाद गुप्ता, सुनील अग्रवाल, पंडित नीरज कोठरी, पंडित रमेश गोनियाल आदि ने भागवत पूजन कर कथाव्यास से आशीर्वाद लिया।
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
