
भारत की 38 प्रतिशत आबादी फैटी लीवर की शिकार लखनऊ,18 अप्रैल (Udaipur Kiran) । फैटी लीवर रोग भारतीय आबादी के लगभग 38% को प्रभावित करता है। मोटापे और गतिहीन जीवनशैली के कारण यह बीमारी बढ़ रही है। अगर समय पर इलाज न कराया जाए, तो फैटी लिवर रोग से कैंसर भी हो सकता है। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के गैस्ट्रो मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा.सुमित रूंगटा ने दी। डा. सुमित ने शुक्रवार को आईएमए सभागार में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में बताया कि फैटी लिवर रोग तब होता है जब लिवर कोशिकाओं में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है। इसे मोटे तौर पर दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है: मेटाबोलिक डिसफंक्शन एसोसिएटेड स्टेटोटिक लिवर डिजीज और अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज।अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज अधिक आम है और अक्सर मोटापे, मधुमेह और मेटाबोलिक सिंड्रोम से जुड़ा होता है, जबकि अत्यधिक शराब के सेवन से जुड़ा होता है।
फैटी लिवर के प्रमुख कारण मोटापा टाइप 2 मधुमेह उच्च कोलेस्ट्रॉल उच्च रक्तचाप खराब आहार संबंधी आदतें शारीरिक निष्क्रियता
फैटी लिवर की रोकथाम 1.फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार पर ज़ोर दें। 2. नियमित व्यायाम करें और कम से कम 150 मिनट मध्यम-तीव्रता वाले व्यायाम करें, जैसे तेज चलना,साइकिल चलाना या तैराकी।3. धूम्रपान व शराब के सेवन से बचें। 4. अपने शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करने के लिए पूरे दिन खूब पानी पिएं।5. दवा का उपयोग सीमित करें,ओवरडोज दवाएं न लें। 6. ठीक से पका हुआ भोजन खाएं और कच्चा या अधपका मांस खाने से बचें।
(Udaipur Kiran) / बृजनंदन
