Uttar Pradesh

‘गाउट’ के इलाज में दवाओं से ज्यादा जीवनशैली में बदलाव अधिक कारगर:डॉ मनीष मिश्र

डॉ मनीष मिश्र

—सुगर,हाइपरटेंशन,मोटापे से भी गठिया,जरूरत पड़ने पर पंचकर्म चिकित्सा

वाराणसी,13 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । मीडिया,बैकिंग सेक्टर,काल सेंटर,स्टाक एक्सचेंज सहित बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में घंटों एक ही पोज में बैठे—बैठे कम्प्यूटर और लैपटाप,मोबाइल पर काम करने वाले लोग ‘गाउट’ एक प्रकार की जोड़ों की बीमारी का शिकार हो रहे है। इसमें कमर,गर्दन और रीढ़ की हड्डियों के साथ पैर या हाथ के अंगूठे में अचानक दर्द होता है। इसमें जोड़ो का अकड़ जाना,जोड़ में सूजन आना,प्रभावित क्षेत्र में लालिमा दिखना ‘गाउट’ का लक्षण है। रोग बढ़ने पर पीड़ित व्यक्ति को काम करना कठिन हो जाता है। चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के कायचिकित्सा पंचकर्म विभाग के रीडर और चिकित्सालय के गठिया, उन्नत शोध केंद्र कक्ष संख्या 30 के नोडल अधिकारी डॉ मनीष मिश्र ने ‘ (Udaipur Kiran) ’से बातचीत में बताया कि वातरक्त (गाउट) के लिए अनियमित खान—पान और एकरस कार्यशैली है। गाउट जोड़ों में यूरिक एसिड से बने क्रिस्टल के जमा होने पर होता है। उन्होंने बताया कि गठिया दो सौ प्रकार की होती है। इसमें मुख्यतह: संधिवात है। इसमें उम्र फैक्टर खास तौर पर बुढ़ापे की गठिया है। मध्यम आयु वर्ग में आम वात गठिया होती है। इसमें शरीर के छोटे—छोटे जोड़ के बात बड़े जोड़ प्रभावित होते है। इसके बाद वातरक्त गठिया जिसे ‘गाउट’ कहा जाता है। आयुर्वेद में इस ‘वातरक्त’ नाम की बीमारी का उल्लेख और उपचार है। उन्होंने बताया कि सुगर,हाइपरटेंशन,मोटापे से भी गठिया होती है। जो लोग मास मदिरा और उच्च प्रोटीन आहार का सेवन करते है। वे भी इसका शिकार होते है। नोडल अधिकारी डॉ मनीष मिश्र ने बताया कि असंतुलित आहार-विहार,व्यायाम एवं परिश्रम न करना भी इस रोग को बढ़ावा देता है। उन्होंने बताया कि इसमें दवाओं से ज्यादा जीवनशैली में बदलाव अधिक कारगर है। बीमारी के अधिक बढ़ने पर पंचकर्म,व्यायाम के साथ आयुर्वेदिक औषधि मरीज को दी जाती है। उन्होंने बताया कि गठिया के रोगियों को बेहतर उपचार देने के लिए ही गठिया, उन्नत शोध केंद्र यहां खुला है। प्रदेश सरकार भी आयुर्वेद अस्पतालों को आयुष हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर के रूप में उच्चीकृत कर रही है। उन्होंने बताया कि ‘गाउट’ के मरीजों को आयुर्वेद की औषधि योगराज गुग्गुल,कचनार गुग्गुल,कैशोर गुग्गुल,त्रयोदशांग गुग्गुल,महामंजिष्ठादी क्वाथ आदि दिया जाता है। जरूरत पड़ने पर भर्ती कर पंचकर्म चिकित्सा दी जाती है। उन्होंने बताया कि मरीजों को सुगर नियंत्रित रखने,अधिक तीखे चटपटे, गरम खट्टे, चिकने पदार्थ,मद्य-मांस का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। उन्होंने बताया कि अत्यधिक प्रोटीन युक्त, गलत और दूषित खान पान से रक्त में जब यूरिक एसिड एवं सोडियम यूरेट्स की मात्रा अधिक बढ़ जाती है, तब ये तत्व जोड़ों के खाली स्थानों में, कोमल ऊतकों में क्रिस्टल के रूप में जमने लगते हैं। यूरिक एसिड के अधिक इकटठे होने के कारण ही शरीर के जोड़ों, संधियों आदि में दर्द एवं जकडऩ होने लगती है। गाउट का आरंभ मुख्य रूप से छोटी अस्थि-संधियों से तथा विशेष रूप से पैर के अंगूठे की संधि से होता है। इससे बचने के लिए लहसुन, अदरक, जीरा, सौंफ़, धनिया, इलायची और दालचीनी का उपयोग करना चाहिए। साथ ही शरीर के वजन को नियंत्रित करने के लिए व्यायाम करें और संतुलित आहार लें।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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