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17 साल तक जेल में बिताने  के बाद हत्या आरोपियों के उम्रकैद की सजा रद्द , तत्काल रिहाई का निर्देश 

साकेंतिक फोटो

-कोर्ट ने कहा बिना सबूत दी गई थी सजा, अभियोजन कहानी पूरी तरह संदिग्ध

प्रयागराज, 23 नवंबर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना ठोस सबूत 17 साल से उम्रकैद की सजा भुगत रहे हत्या व अपहरण के आरोपियों अनिल व संजू की सजा रद्द कर दी है और उनके तत्काल रिहाई का निर्देश दिया है।

यह फैसला न्यायमूर्ति सिद्धार्थ तथा न्यायमूर्ति सुभाष चन्द्र शर्मा की खंडपीठ ने सजा के खिलाफ दाखिल अपील को स्वीकार करते हुए दिया है। अपील पर बहस कर रहे अधिवक्ता का कहना था कि मृतक शाकिर की बीबी शहनाज़ ने गाजियाबाद के लोनी थाने में घटना के दो दिन बाद एफआईआर दर्ज की । आरोप लगाया कि आरोपियों सहित पांच छः लोग पैसे के लेन-देन को लेकर 25 जुलाई 2007 को उसके घर आये,और उसके शौहर को साथ ले गये। बाद में हिंडन के पास 18 टुकड़ों में शौहर की लाश बरामद हुई। बहस की गई कि कोई चाकू बरामद नहीं हुआ। घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं। कोई सबूत नहीं है।

परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर अपर सत्र अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। जिसे अपील में हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। तमाम गवाहों के बयान विरोधाभासी है। कोर्ट ने पाया कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य में कोई तारतम्यता नहीं है। बयान आया कि पूजा कालोनी में ग्यारह लाशें थी जिसमें से मृतक की टुकड़ों में लाश बरामद की गई। फोटोग्राफी की गई किंतु कोई फोटो पत्रावली पर नहीं है। कोर्ट ने अभियोजन की कहानी को पूरी तरह संदिग्ध माना और कहा कि बिना सबूत सजा सुनाई गई है। आरोपी किसी अन्य केस में वांछित न हो तो उन्हें तत्काल रिहा किया जाए।

(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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