शिमला, 4 अगस्त (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है हिमाचल निर्माता और प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार एक महान और दूरदर्शी व्यक्तित्व थे और उन्होंने प्रदेश के विकास की मजबूत आधारशिला रखी। उनका सम्पूर्ण जीवन हिमाचल प्रदेश के लिए समर्पित रहा है। वर्तमान में प्रदेश विकास की राह पर अग्रसर है, यह डॉ. परमार का सपना था। डॉ. परमार ने प्रदेश का इतिहास ही नहीं, बल्कि भूगोल को भी बदला। उन्होंने प्रदेश की सीमाओं को और बड़ा किया। हिमाचल का अस्तित्व डॉ. परमार की अतुलनीय देन है।
मुख्यमंत्री सुक्खू रविवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा परिसर शिमला में डॉ. परमार की 118वीं जयंती के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि डॉ. परमार को हिमाचल की संस्कृति और पर्यावरण के संरक्षक के रूप में भी जाना जाता है, उन्हें पर्यावरण से बहुत लगाव था। उन्होंने प्रदेश की सबसे बड़ी सम्पदा वनों के संरक्षण को सदैव ही अधिमान दिया। डॉ. परमार ने प्रदेश को हरित राज्य बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।
सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि हमें डॉ. परमार के सिद्धांतों और उनके दिखाए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार हिमाचल का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से कार्य कर रही है। आर्थिक तंगी के बावजूद प्रदेश निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है। सरकार द्वारा हर क्षेत्र में गुणात्मक बदलाव लाए जा रहे हैं। शिक्षा, जल विद्युत, पर्यटन व खाद्य प्रसंस्करण आदि क्षेत्रों में अनेक नवोन्मेषी पहल की जा रही हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने डॉ. अंशुक अत्री व डॉ. राजेन्द्र अत्री द्वारा लिखित पुस्तक ‘परमारः हिमाचल के शिल्पकार’ और डॉ. अंशुक अत्री द्वारा अंग्रेजी भाषा में लिखित पुस्तक ‘द क्राफ्टिंग ऑफ हिमाचल प्रदेश’ का विमोचन किया।
उन्होंने डॉ. परमार की जीवनी पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया और उनके छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।
इससे पहले, मुख्यमंत्री ने रिज मैदान स्थित डॉ. यशवंत सिंह परमार की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने डॉ. परमार की जीवनी पर आधारित छायाचित्र प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने डॉ. परमार को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश के स्वरूप में डॉ. परमार का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के गठन के समय राज्य की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन डॉ. यशवंत सिंह परमार ने उन चुनौतियों का मजबूती से सामना किया और प्रदेश को बड़ी-बड़ी बाधाओं से बाहर निकाला।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा शुक्ला