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मकान में अकेले रह रही वृद्धा की हत्या और आभूषण लूट में दो दोषी, आजीवन कारावास

चितौड़गढ़ जिले के राशमी थाना क्षेत्र में हुवे हत्या के मामले में कपासन कोर्ट ने सुनाया फैसला

चित्तौड़गढ़, 27 अगस्त (Udaipur Kiran) । जिले के राशमी थाना क्षेत्र में आने वाले बारु गांव में छह वर्ष पूर्व वृद्धा की हत्या और आभूषण लूट के मामले में अपर जिला एवं सेशन न्यायालय कपासन के न्यायाधीश डॉ महेन्द्र साेलंकी ने मंगलवार को फैसला सुनाया है। दो अभियुक्त को आजीवन कारावास के अलावा अर्थदंड से दंडित किया है।

प्रकरण के अनुसार राशमी थाना क्षेत्र के रूद निवासी अंबालाल पुत्र ओंकार लाल सिंघवी ने 25 जनवरी 2018 को राशमी थाने में एक रिपोर्ट दी थी। इसमें बताया कि प्रार्थी के मकान के पास स्व. शांतिलाल चोरड़िया का मकान हैं। इसमें शांतिलाल की पत्नी बादामीबाई (75) अकेली रहती है। इसके पुत्र और पुत्रियां बाहर रहते हैं। घटना के दिन सुबह 6.30 बजे जब प्रार्थी ने देखा की बादाम बाई के मकान का मुख्य दरवाजा खुला हुआ हैं। काफी देर तक बादामबाई नजर नहीं आई तो उसने अंदर जाकर आवाज लगाई, तब भी कोई जवाब नहीं आया। इस पर वृद्धा बादामबाई के सोने वाले कमरे का गेट खोल कर देखा। अंदर बादाम बाई के हाथ पैर और मुंह बंधे हुए थे और वह मरणासन अवस्था में जमीन पर पड़ी हुई थी। दूसरे सभी कमरों के गेट खुले हुए थे। एक कमरे में तिजोरी और पेटियों के ताले टूटे पड़े थे और समान बिखरा पड़ा था। अंबालाल ने बाहर आकर पड़ोसियों को इसकी जानकारी सरपंच हंसराज जाट भी आए और राशमी थाने में सूचना दी। रात में अज्ञात बदमाशों ने बादामबाई की हत्या कर नगदी और जेवर लूट कर ले गए थे। इस पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच करते हुए निकटवर्ती रूद गांव निवासी किशन लाल पुत्र नानूराम, इसके साथी यूपी के बुलंदशहर जिला अंतर्गत ककोड़ा थाना क्षेत्र के झाझर निवासी देवेंद्र पुत्र प्रेमचंद को व चोरी का माल खरीदार कन्नौज निवासी दुर्गा शंकर पुत्र गणपत लाल को गिरफ्तार किया। जांच के बाद इन तीनों के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया। न्यायालय में इस विचाराधीन प्रकरण के दौरान खरीदार दुर्गा शंकर की मृत्यु होने से उसके खिलाफ कार्रवाई ड्रॉप कर दी गई। न्यायालय ने दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद अभियुक्त किशन लाल और देवेंद्र को हत्या और लूट के मामले के दोषी पाया। दोनों अभियुक्त को आईपीसी की धारा 302 में आजीवन कारावास और 25 हजार तथा धारा 397 में 10 साल का कठोर कारावास और 10 हजार का अर्थदंड,धारा 460 में 10 साल का कठोर कारावास और 10 हजार का अर्थदंड, धारा 120 बी में आजीवन कारावास और 25 हजार के अर्थदंड से दंडित किया गया।

(Udaipur Kiran) / अखिल / संदीप

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